19 अगस्त, 2012

सबब उदासी का

आज के  जन मानस में 
रहती निष्प्रह नितांत अकेली 
दिखती मितभाषी 
स्मित मुस्कान बिखेरती
उदासी  फिर भी छाई रहती
उससे अलग न हो पाती
पर सबब उदासी का
किसी से न बांटती
जब  भी मन  टटोलना चाहा
शब्द अधरों तकआकार रुक जाते
अश्रुओं के आवेगा में  खो जाते
 असहज हो अपने आप में खो जाती
फिर  भी हर बात उसकी
अपनी और आकृष्ट करती
कई विचार आते जाते
पर निष्कर्ष तक न पहुच  पाते
एक दिन वह  चली गयी
संपर्क  सूत्र तब भी ना टूटे
समाज सेवा ध्येय बनाया
पूरी निष्ठा सेअपनाया
व्यस्तता बढती गयी
उदासी  फिर भी न गयी
वह दुनिया भी छोड़ गयी
कोइ उसे समझ ना पाया
क्या चाहती थी जान न पाया
था क्या राज उदासी का
समझ  नहीं  पाया
राज राज ही रह गया
उसी के साथ चला गया |
आशा










14 टिप्‍पणियां:


  1. राज राज ही रह गया
    उसी के साथ चला गया |

    बहुत खूब सुंदर रचना,,,,
    RECENT POST ...: जिला अनुपपुर अपना,,,

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  2. ईद मुबारक !
    आप सभी को भाईचारे के त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाएँ!
    --
    इस मुबारक मौके पर आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (20-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  3. बहुत खूब सुंदर रचना,,ईद मुबारक !

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  4. कुछ राज़ जो राज़ ही रह जाते हैं जिज्ञासा का कारण बन जाते हैं ! सुन्दर रचना !

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  5. ram ram bhai
    बुधवार, 22 अगस्त 2012
    रीढ़ वाला आदमी कहलाइए बिना रीढ़ का नेशनल रोबोट नहीं .
    What Puts The Ache In Headache?

    जवाब देंहटाएं
  6. आपका संकलन प्रकाशित हुआ ,हम भी गौरवान्वित हुए .बधाई .बढिया रचना भी बोनस स्वरूप पढवाई ,...कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    बुधवार, 22 अगस्त 2012
    रीढ़ वाला आदमी कहलाइए बिना रीढ़ का नेशनल रोबोट नहीं .
    What Puts The Ache In Headache?

    जवाब देंहटाएं
  7. ये कैसी उदासी जो ....उसे अकेला कर गई ...

    जवाब देंहटाएं

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