ऐसा नज़ारा होगा हो मन करेगा ही वहीँ रहने का , सुन्दर रचना
प्रक्रति सदा ही अपनाने के लिए तैयार रहती है ,यह तो हम हैं जो यह समझ नहीं पते| सुन्दर और स्वाभाविक लेखन हेतु बधाई |
प्रकृति के सानिद्ध्य में हर कोई कवि ह्रदय सुख पाता है उन दोनों का भावनाओं का जो नाता है
मन झरने सा ही तो है आपका... सुन्दर, निर्मल, शीतल, भावो के संसार में स्वछन्द होकर बहता हुआ...
प्रकृति के सानिद्ध्य को कौन नही पाना चाहेगा,,,,,RECENT POST -मेरे सपनो का भारत
sahi bat mn bhi to jharna jaisa hi jharna chahta hai ....
बहुत सुन्दर सृजन ! जितना चित्र मनभावन है उतनी ही खूबसूरत क्षणिका है !
हम प्रकृति की रचना हैं,जो उससे दूर चले आये -वह बार-बार पास बुलाती है .
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ऐसा नज़ारा होगा हो मन करेगा ही वहीँ रहने का , सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंप्रक्रति सदा ही अपनाने के लिए तैयार रहती है ,यह तो हम हैं जो यह समझ नहीं पते| सुन्दर और स्वाभाविक लेखन हेतु बधाई |
जवाब देंहटाएंप्रकृति के सानिद्ध्य में हर कोई कवि ह्रदय सुख पाता है उन दोनों का भावनाओं का जो नाता है
जवाब देंहटाएंमन झरने सा ही तो है आपका... सुन्दर, निर्मल, शीतल, भावो के संसार में स्वछन्द होकर बहता हुआ...
जवाब देंहटाएंप्रकृति के सानिद्ध्य को कौन नही पाना चाहेगा,,,,,
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sahi bat mn bhi to jharna jaisa hi jharna chahta hai ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सृजन ! जितना चित्र मनभावन है उतनी ही खूबसूरत क्षणिका है !
जवाब देंहटाएंहम प्रकृति की रचना हैं,जो उससे दूर चले आये -वह बार-बार पास बुलाती है .
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