03 सितंबर, 2012

शिक्षा एक विचार



व्यक्ति के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा का बहुत महत्व है |शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जो अनवरत चलती रहती है जन्म से मृत्यु तक |जन्म से ही शिक्षा प्रारम्भ हो जाती है |शिशु अवस्था में माता बच्चे की पहली गुरु होती है |यही कारण है कि संस्कार जो मिलते हैं मा से ही मिलते हैं |जैसे जैसे वय  बढती है  बच्चे पर और लोगों का प्रभाव पडने लगता है |आसपास का वातावरण भी उसके विकास में एक महत्वपूर्ण  कारक होता है |
स्कूल जाने पर शिक्षक उसका गुरू होता है |बच्चों में अंधानुकरण की प्रवृत्ति होती है
जो उन्हें सब से अच्छा लगता है वे उसी का अनुकरण करते हैं और उस जैसा बनना चाहते हैं |
यही कारण है कि बच्चा अपने शिक्षक का कहा बहुत जल्दी  मानता है |
      जब वह कॉलेज में पहुंचता है तब मित्रों से बहुत प्रभावित होता है और उनकी संगत से बहुत कुछ सीखता है |इसी लिए तो कहते हैं :-
         पानी पीजे छान कर ,मित्रता कीजे जान कर
शिक्षा में यात्रा का भी बहुत महत्वपूर्ण योगदान है |यात्रा करने से भी कुछ कम सीखने को नहीं मिलता |कई लोगों के मिलने जुलने से ,विचारों के आदान प्रदान से ,कई संस्कृतियों को देखने से ,प्रकृति के सानिध्य से बहुत कुछ सीखने को मिलता है  |  केवल वैज्ञानिक सोच ,अनुकरण ,बौद्धिक विकास ही केवल शिक्षा नहीं है |सच्ची शिक्षा है अपने आप को जानना सुकरात ने कहा था
कि सही शिक्षा है know thyself “ चाहे जितना पढ़ा लिखा पर यदि वह अपने आपको  न जान् पाए तो सारी शिक्षा व्यर्थ है |
यही कारण है कि शिक्षक से यह अपेक्षा की जाती है कि वह बच्चे में छिपे
सद् गुणों को  समझे और उनके विकास में सहायक हो |वह बालक को,उसके गुणों को , सीपी में छिपे मोती को बाहर निकाले और तराशे ऐसा कि बालक जान पाए कि आज के दौर में वह कहाँ खडा है और उसका सम्पूर्ण विकास कैसे  हो सकता है |
आशा

6 टिप्‍पणियां:

  1. बलिहारी गुरु आपकी गोविन्द दियो बताये...
    बड़ा महत्वपूर्ण स्थान है गुरु का हमारे जीवन में लेकिन वर्तमान समय में शिक्षा भी एक व्यापार बनकर रह गई है, गुरु शिष्य की परंपरा की पुनर्स्थापना की अत्यंत आवश्यकता है... सार्थक आलेख के लिए आभार

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  2. प्यार मिले माँ बाप से,गुरु से मिलता ज्ञान
    दिल से अनुकरण करे,बनता तभी महान,,,,,,

    RECENT POST-परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,

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  3. शिक्षक दिवस पर एक सार्थक पोस्ट .सीखने की प्रक्रिया जब तक चलती है व्यक्ति तरोताजा बना रहता है .एलजाईमार्स से बचा रहता है .नया सीखने जानने की अपनी थ्रिल और बे -चैनी होती है .ये बे -चैनी गई तो जीवन गया .

    जिससे हमने जो जब सीखा वह उस क्षण हमारा टीचर है .टीचर होना बड़ी बात है .

    सोमवार, 3 सितम्बर 2012
    स्त्री -पुरुष दोनों के लिए ही ज़रूरी है हाइपरटेंशन को जानना
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    What both women and men need to know about hypertension

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  4. बहुत सुन्दर विचार हैं ! शिक्षक दिवस की आप सभी को हार्दिक बधाइयाँ !

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