साथ हाला का और मित्रों का
फिर भी उदासी गहराई
अश्रुओं की बरसात हुई
सबब उदासी का
जो उसने बताया
था तो बड़ा अजीब पर सत्य
रूठ गई थी उसकी प्रिया
की मिन्नत बार बार
वादे भी किये हजार
पर नहीं मानी
ना आना था ना ही आई
सारी महनत व्यर्थ हो गयी
वह कारण बनी उदासी का
तनहा बैठ एक कौने में
कई जाम खाली किये
डूब जाने के लिए हाला में
पर फिर से लगी आंसुओं की झाड़ी
वह जार जार रोता था
शांत कोइ उसे न कर पाया
उदासी से रिश्ता वह तोड़ न पाया
बादलों के धुंधलके से बच नहीं पाया
वह अनजान न था उस धटना से
दिल का दर्द उभर कर
हर बार आया
दिल का दर्द उभर कर
हर बार आया
उदासी से छुटकारा न मिल पाया
उस शाम को वह
खुशनुमा बना नहीं पाया |
आशा
निष्फल प्रेम की दुखद परिणति तो होती ही है लेकिन हाला के जाम में खुद को डुबोने से भी कुछ हासिल नहीं होता ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएं..पर फिर से लगी
जवाब देंहटाएंआंसुओं की झाड़ी (आंसुओं की झड़ी ...)
वह जार जार रोता था
शांत कोइ उसे (शांत कोई उसे )
न कर पाया
उदासी से रिश्ता
वह तोड़ न पाया
बादलों के धुंधलके से
बच नहीं पाया
उदासी से
छुटकारा न मिला
उस सुरमई शाम को
खुशनुमा बना नहीं पाया |
आशा कोई उदासी सी उदासी है ,दश्त को देखके घर याद आया .......जाम को टकरा रहा हूँ जाम से ,खेलता हूँ गर्दिशे ऐयाम से ,उनका गम ,उनका तसव्वुर ,अरे !कट रही है ज़िन्दगी आराम से ...
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ram ram bhai
बृहस्पतिवार, 30 अगस्त 2012
लम्पटता के मानी क्या हैं ?
bhavnatmak nice . कैराना उपयुक्त स्थान :जनपद न्यायाधीश शामली :
जवाब देंहटाएंbhavna se bhari behtarin rachna.
जवाब देंहटाएंsadar.