05 सितंबर, 2012

आंसू



आंसुओं का कोई
रंग नहीं होता
रहते रंग हीन सदा
चाहे जब भी आएं
हंसते हंसते
या दुख में बह जाएँ
स्वाद उनका रहता
सदा एकसा खारा
हों वे चाहे खुशी के
या गम की देन
समय भी नहीं
 निर्धारित उनका
सुबह हो शाम हो या
गहराती रात हो
कारण उनके आने का
अनिश्चित होता
कभी वे  बेमतलब भी
 आँखें नम कर जाते
अकारण टपक जाते
पर रूप उनका
रहता सदा एकसा
टप टप टपकते
झर झर झरते
गोल गोल मोटे मोटे
बाहर आने का
 बहाना खोजते |
आशा

12 टिप्‍पणियां:

  1. ये आंसू मेरे दिल की जुबां हैं ,मैं रो दूं तो रो दें आंसू ,मैं हंस दूं तो हंस दे आंसू ,....हर दम मेरे संग साथ हैं ,मेरी देह मुद्रा देह भाषा के मूक साक्षी हैं ये आंसू ,मेरी केमिस्ट्री का राज हैं ,संगीत और साज़ हैं ,फिर भी बे -आवाज़ हैं ,भाषा और संवाद हैं ,मैं राजी तो आंसू राजी ....
    नारी शक्ति :भर लो झोली सम्पूरण से

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  2. ये आँसू मेरे दिल की जुबान हैं !
    मैं रोऊँ तो रो दें आँसू ,
    मैं हँस दूँ तो हँस दें आँसू !
    वाकई आँसू दिल का आईना ही तो है ! सुन्दर रचना !

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  3. aansoo hi to hain jo gum aur khushi dono me saman tareeke se hmara saath dete hai

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  4. कभी वे बेमतलब भी
    आँखें नाम कर जाते
    अकारण टपक जाते
    पर रूप उनका
    रहता सदा एकसा...

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...!

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  5. मैं हँस दूँ तो हँस दें आँसू !
    ........ सुन्दर रचना !

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  6. भावपूर्ण रचना ...
    आंसुओं की अपनी कहानी ...

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