31 अक्टूबर, 2012

वे दिन



वे दिन भी क्या दिन थे, उनकी धुंधली याद |
अधूरा सा जीवन था ,रहा न कोइ साथ  ||

 रहता भी तो क्या करता ,था जीवन बेकार
अहसास न था प्यार का , और धीमी  रफ्तार || 

 तुम्हें मैंने जान लिया, पहचाना पा पास
दुःख सुख तो आते रहते ,था  तुझ पर  विश्वास ||


 चलता सदा काल चक्र , और समय बलवान |
  पिंजर से होते ही मुक्त  ,दुःख का होगा त्राण ||
आशा 

8 टिप्‍पणियां:

  1. काल चक्र चलता सदा , और समय बलवान |
    होते ही मुक्त पिंजरे से ,दुःख का होगा त्राण ||

    बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति,,,,,
    RECENT POST LINK...: खता,,,

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  2. चलता सदा काल चक्र , और समय बलवान | पिंजर से होते ही मुक्त ,दुःख का होगा त्राण || समय के साथ सभी दुःख समाप्त हो जायेंगे...भावपूर्ण रचना...

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  3. समय का पहिया चलता रहता है ..
    सुंदर अभिव्‍यक्ति

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  4. बहुत सुन्दर ! सुन्दर कथ्य और सुन्दर ही अभिव्यक्ति !

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