वे दिन भी क्या दिन थे, उनकी धुंधली याद |
अधूरा सा जीवन था ,रहा न कोइ
साथ ||
रहता भी तो क्या करता ,था जीवन
बेकार
अहसास न था प्यार का , और धीमी
रफ्तार ||
तुम्हें मैंने जान लिया, पहचाना पा
पास
दुःख सुख तो आते रहते ,था तुझ
पर विश्वास ||
चलता सदा काल चक्र , और समय बलवान |
पिंजर से होते ही मुक्त ,दुःख का होगा त्राण ||
आशा
acchi rachna
जवाब देंहटाएंकाल चक्र चलता सदा , और समय बलवान |
जवाब देंहटाएंहोते ही मुक्त पिंजरे से ,दुःख का होगा त्राण ||
बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति,,,,,
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चलता सदा काल चक्र , और समय बलवान | पिंजर से होते ही मुक्त ,दुःख का होगा त्राण || समय के साथ सभी दुःख समाप्त हो जायेंगे...भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंक्या बात है वाह! बहुत ख़ूब पेशकश
जवाब देंहटाएंसमय का पहिया चलता रहता है ..
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति
बहुत ही बढ़िया उम्दा रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ! सुन्दर कथ्य और सुन्दर ही अभिव्यक्ति !
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर रचना..
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