दिया गुलाब का फूल
किया इज़हार प्यार का
डायरी में रखा
बहुत दिन तक सहेजा
एक दिन डायरी हाथ लगी
नजर उस पर पड़ी
फूल तो सूख गया
पर सुगंध अपनी छोड़ गया
अहसास उन भावनाओं का
उसे भूलने नहीं देता
याद जब भी आ जाती
भीनी सी उस खुशबू में
जाने कब खो जाती है
उन यादों के खजाने से
मन को धनी कर जाती है
फिजा़ओं में घुली
यादों की सुगंध
उसको छू जो आई
आज भी हवा में घुली
धीरे धीरे धीमें से
उस तक आ ही जाती है
कागज़ कोरा अधूरा
रहा भी तो क्या
सुगंध अभी तक बाकी है
उसी में रच बस गयी है
दिल में जगह काफी़ है |
आशा
सीधी सादी सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंअमिट स्मृतियाँ ...
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना ...!!
कागज़ कोरा अधूरा
जवाब देंहटाएंरहा भी तो क्या
सुगंध अभी तक बाकी है
उसी में रच बस गयी है
दिल में जगह काफी़ है..
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंकाश हम भी सुमन से शिक्षा ले लेते!
बहुत-बहुत सुन्दर रचना...
जवाब देंहटाएं:-) :-)
बहुत सुन्दर रचना ...
जवाब देंहटाएंस्मृतियों के ताने बाने से बुनी खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंयादें मन को धनी कर जाती हैं....
जवाब देंहटाएंसच्ची....
बहुत सुन्दर रचना.
सादर
अनु
अरे वाह आजकल बड़ी रूमानी रचनाएं लिख रही हैं ! बहुत अच्छी लगी ! बहुत ही सुन्दर !
जवाब देंहटाएंyadon ki bhini bhini khushbu....sundar rachna
जवाब देंहटाएंफूल तो सूख गया
जवाब देंहटाएंपर सुगंध अपनी छोड़ गया
अहसास उन भावनाओं का ,,,,,,,,खूबशूरत अहसास,,,,
RECECNT POST: हम देख न सके,,,
वाह ...खूबसूरत है ये एहसास प्यार का और यादों की भीनी सी खुशबू
जवाब देंहटाएंउन यादों के खजाने से
जवाब देंहटाएंमन को धनी कर जाती है.....wakayee....aisa hi hota hai.