04 अक्तूबर, 2012

दिया गुलाब का फूल



दिया गुलाब का फूल
किया इज़हार प्यार का
डायरी में रखा
बहुत दिन तक सहेजा
एक दिन डायरी हाथ लगी
नजर उस पर पड़ी
फूल तो सूख गया 
पर सुगंध अपनी छोड़ गया
अहसास उन भावनाओं का
उसे भूलने नहीं देता
याद जब भी आ जाती
भीनी सी उस खुशबू में
जाने कब खो जाती है
उन यादों के खजाने से
मन को धनी कर जाती है
फिजा़ओं में घुली
यादों की सुगंध
उसको छू जो आई
आज भी हवा में घुली
धीरे धीरे धीमें से
उस तक आ ही जाती है
कागज़ कोरा अधूरा
रहा भी तो क्या
सुगंध अभी तक बाकी है
उसी में रच बस गयी है
दिल में जगह काफी़ है |
आशा

13 टिप्‍पणियां:

  1. अमिट स्मृतियाँ ...
    सुंदर रचना ...!!

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  2. कागज़ कोरा अधूरा
    रहा भी तो क्या
    सुगंध अभी तक बाकी है
    उसी में रच बस गयी है
    दिल में जगह काफी़ है..

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    काश हम भी सुमन से शिक्षा ले लेते!

    जवाब देंहटाएं
  4. स्मृतियों के ताने बाने से बुनी खूबसूरत रचना

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  5. यादें मन को धनी कर जाती हैं....
    सच्ची....

    बहुत सुन्दर रचना.

    सादर
    अनु

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  6. अरे वाह आजकल बड़ी रूमानी रचनाएं लिख रही हैं ! बहुत अच्छी लगी ! बहुत ही सुन्दर !

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  7. फूल तो सूख गया
    पर सुगंध अपनी छोड़ गया
    अहसास उन भावनाओं का ,,,,,,,,खूबशूरत अहसास,,,,

    RECECNT POST: हम देख न सके,,,

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  8. वाह ...खूबसूरत है ये एहसास प्यार का और यादों की भीनी सी खुशबू

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  9. उन यादों के खजाने से
    मन को धनी कर जाती है.....wakayee....aisa hi hota hai.

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