सिलसिला कार्यों का
अनवरत चलता रहा
जन्म से आज तक
थमने का
नाम नहीं लिया
बचपन तो
बचपन ठहरा
ना कोई चिंता ना बेचैनी
बस आनंद ही आनंद
जिंदगी रही सरल सहज
अल्पविराम पहला आया
जिंदगी की इवारत में
जब पढने लिखने की उम्र हुई
गृह कार्य की चिंता हुई
कई बार क्रोध आया
जीवन नीरस सा लगा
बगावत का मन भी हुआ
जब तक इति उसकी न हुई
व्यस्तता कुछ अधिक बढ़ी
जब दायित्वों की झड़ी लगी
कर्तव्यों का भान हुआ
अर्धविराम तभी लगी
जिंदगी की रवानी में
दायित्वों
के बोझ तले
जिंदगी दबती गयी
समस्त कार्य पूर्ण किये
अभिलाषा भी शेष नहीं
जीने का मकसद पूर्ण हुआ
पूर्णता का अहसास हुआ
संतुष्ट भाव से खुद को सवारा
अब है इंतज़ार
जीवन की इवारत में
लगते पूर्णविराम का |
आशा
पूर्णविराम के बाद शून्य...अभी शून्य में विलीन होने का वक्त नहीं आया
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना !!
नव वर्ष की शुभकामनाएँ !!
धन्यवाद मधु जी टिप्पणी के लिए |
हटाएंअभी पूर्णविराम नहीं मिलेगा आपको..
जवाब देंहटाएंअच्छी रचना. नववर्ष की हार्दिक बधाई...
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंजीवन की इवारत इतनी छोटी नहीं की पूर्णविराम लग सके,,,
जवाब देंहटाएंrecent post : नववर्ष की बधाई
जीवन इतना छोटा नहीं की हार मान लें ,अभी तो कई आसमां तय करने हैं मौसीजी ,आभार सहित ।
जवाब देंहटाएंअजी कैसा अल्पविराम और कैसा पूर्णविराम ! अभी तो जीवन को सही मायने में भरपूर जीने की फुर्सत मिली है उसका जैम के आनंद उठाइये ! कहाँ कॉमा फुलस्टॉप के चक्करों में उलझ गयीं आप ! वैसे रचना अच्छी है !
जवाब देंहटाएंअभी कैसा पूर्णविराम ! यही तो वक़्त है जीवन को भरपूर जीने का... सारे दायित्वों की पूर्णता के बाद सिर्फ और अपने लिए जीने का ... आभार
जवाब देंहटाएंचलना ही जिंदगी है -चलते जाइये ,जीवन का पूर्ण आनंद लीजिये ,पूर्ण विराम की चिंता किये बिना.
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट ; "नया वर्ष मुबारक हो सबको " में आपका इन्तेजार है .
एक नयी उम्मीद के साथ नववर्ष की शुभकामनाएँ
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