कैसे तुझे बताऊँ माँ
हूँ मैं कितना खुश किस्मत
जब तक जिया
कर्तव्य से पीछे न हटा
सर्दी से कम्पित न हुआ
गर्मी से मुंह ना मोड़ा
अंत तक हार नहीं मानी
की सरहद की निगरानी
भयाक्रांत कभी न हुआ
अब तेरे आंचल की छाँव में
चिर निद्रा में सो गया हूँ
है मेरी अंतिम इच्छा
शहादत व्यर्थ न हो मेरी
पहले की तरह ही
केवल कड़ा विरोध पत्र ही
ना उन्हें सोंपा जाए
कड़े कदम उठाए जाएँ
अधिक सजग हो
निगरानी सरहद की हो|
आशा
aasha ji bahut sahi likha .kada patra koi kaam ka nahi.
जवाब देंहटाएंNew post : दो शहीद
अब तेरे आंचल की छाँव में
जवाब देंहटाएंचिर निद्रा में सो गया हूँ
है मेरी अंतिम इच्छा
शहादत व्यर्थ न हो मेरी
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बहुत जीवंत..... माँ के दिल से
SHBD SHBD AANSHU BARBAS...
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जवाब देंहटाएंभ्रष्ट व्यवस्था ,ध्वस्त प्रशासन ,निष्फल हुई सारी कुर्बानी ,
भीड़ प्रदर्शन ,पुलिस के डंडे ,दिल्ली की अब यही कहानी . अफ़सोस यही है ढीठ बन गई है सल्तनत दिल्ली की .होना हवाना कुछ नहीं है
एक कहावत है :आजमाए को आजामये ,और चूतिया (मूर्ख )कहाए .
जवाब देंहटाएंहै मेरी अंतिम इच्छा
शहादत व्यर्थ न हो मेरी...
लाजबाब जीवंत प्रस्तुति,,,,
recent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
सुंदर और मार्मिक रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही मार्मिक रचना आशा माँ
जवाब देंहटाएंआपके विचारों से एकदम सहमत सर जी ! तभी मन में उमड़ते घुमड़ते विचारों के बीच ये पंक्तियाँ बन पडीं;
जवाब देंहटाएंहे मातृ भूमि!
पड़ोसी की कायराना हरकत
लेती रहेगी कब तक
तेरे सपूतों की जान
कर लेते हैं "इति श्री" कहकर केवल
"कृत्य है निन्द्य"
"नहीं जायगा व्यर्थ बलिदान शहीदों का"
देश के बड़े बड़े मुखिया श्रीमान
काश इन शहीदों की बातें सुन ली जातीं !!!!!..........बहुत बहुत शुक्रिया ...
नेताओं के राजनैतिक दाव पेचों में उलझ कर शहीदों का बलिदान ऐसे ही व्यर्थ चला जाता है ! उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देती सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंबस एक ही शब्द .....नमन
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