08 जनवरी, 2013

रिश्ता दर्द का

रिश्ता दर्द का :-
ना जाने कहाँ से आये हो
प्रीत की रीत निभाने को
दर्द भी साथ लाए हो
छिपे भावों को जगाने को |
ना ही कभी देखा
ना ही पहचान हुई
बातें करें भी कैसे
कोई सूत्र मिला ही नहीं |
अनजानी आवाज तुम्हारी
दिल में दर्द जगाती है  
आँखें नम हो जाती हैं
बेचैनी  बढ़ती जाती है |
है यह कैसा रिश्ता
ना पहले था
ना आज कोई नाम इसका
फिर भी दिल में उठती पीर
एक संदेशा देती
सोच नहीं पाता
जमाने के सताए गए
कैसे एक सूत्र में बध रहे हैं ?
तुम्हारे स्वर ही काफी हैं
बीती बातों को
मन के भावों को
जी भर कर जीने के लिए|
ना जाओ कहीं 
भुला  न पाओगे
गीतों का संबल ही काफी है
इस रिश्ते को जीने के लिए |
गाओगे जब नया गीत
होगा पर्याप्त
दिल को टटोलने के लिए
इस अनजाने रिश्ते को
नया नाम देने के लिए |
आशा

11 टिप्‍पणियां:

  1. गीतों का संबल ही काफी है
    इस रिश्ते को जीने के लिए |
    गाओगे जब नया गीत
    होगा पर्याप्त
    दिल को टटोलने के लिए
    इस अनजाने रिश्ते को
    नया नाम देने के लिए |
    बहुत सुन्दर
    New post: अहँकार

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  2. गीतों का संबल ही काफी है
    इस रिश्ते को जीने के लिए |
    गाओगे जब नया गीत
    होगा पर्याप्त
    दिल को टटोलने के लिए

    बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.......

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  3. दिल में दर्द उभरता है ...
    ----------------
    ऐसा ही होता है

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  4. बहुत देर तक रहता है बहुत दूर तक जाता है ये रिश्ता ..बस एक बार हो तो जाए.....सुन्दर रचना.

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  5. बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति|

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  6. कोमल भाव लिए रचना...
    भावपूर्ण अभिव्यक्ति....

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  7. उम्दा रचना ,अच्छा लगा पढ़ कर

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  8. बहुत सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना ! हर शब्द मन की गहराई से निकलता हुआ सा प्रतीत होता है और हमारे मन तक पहुंचता है ! बहुत बढ़िया !

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