06 फ़रवरी, 2013

प्रकृतिके अनमोल नज़ारे


(१) प्रकृति के अनमोल नजारे 
लगते बहुत प्यारे 
आँखोंमें बस गए 
रंग जीवन में भर गए |

(२) इधर  पत्थर उधर पत्थर
जिधर देखो उधर पत्थर
जमाने की अनुभूतियों ने
बना दिया मुझे पत्थर |

आशा

12 टिप्‍पणियां:

  1. खूबसूरत नज़रों के दर्शन अच्छे लगे ।

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  2. बात देखने की है
    जो देखना चाहो
    कहे पत्थर,कोई
    वो रहा फूल!

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  3. प्रकृति का सृजन ही विधाता ने जीवन में रंग भरने के लिए किया है, ईस्वर की तूलिका के रंग बड़े निराले है इसीलिए आपको हमको सभी को प्यारे लगते है ,अच्छी कविताई

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  4. इस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.

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  5. दोनों क्षणिकाएं बहुत सुन्दर हैं ! साथ ही चित्र भी ! बहुत बढ़िया !

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  6. दोनों क्षणिकाएं बहुत सुन्दर

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  7. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।

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  8. जा की रही भावना जैसी ।

    सुंदर क्षणिकाएं ।

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