महका वन उपवन
चली वासंती पवन
बसंत में रंग गयी
फूलों से लदी
डालियाँ
झूमती अटखेलियाँ करतीं
आपस में चुहल करतीं
बहार आगमन की सूचक वे
बीता कल याद दिला जातीं
यादे ताजी कर जातीं
कुछ नई और जुड़ जातीं
यादें होती बेमानीं
लौट कर न आनीं
पर होती मीठी सी
रह न
पाती अनजान उनसे
जब पलकें अपनी मूँदूं
दृष्टि पटल से वे गुजरतीं
जाने कब गाड़ी थम जाती
आगे बढ़ना नहीं चाहती
बंद घड़ी के कांटे सी
वहीँ ठिठक कर रह जाती
उस पल को भरपूर जीती
वह लम्हा विशिष्ट होता
सारे दुःख पीछे रह जाते
सुख के झरने झरझर झरते
फिरसे नव ऊर्जा भरते
उन्मुक्त कदम आगे बढते|
आशा
यादों का यह मनभावन सफ़र यूँ ही चलता रहे और आपको स्फूर्तिवान बना हर्षित करता रहे यही शुभकामना है ! वसंतागमन की हार्दिक बधाई !
जवाब देंहटाएंबसंत आगमन का संकेत देती मनभावन रचना,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: रिश्वत लिए वगैर...
बढ़िया ऋतु वर्णन |
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें-
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जवाब देंहटाएंकविता अच्छी लगी | आभार
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
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जवाब देंहटाएंआपको बहुत बहुत साधुवाद..."वह पल"एक बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है.आपने जो भी शब्द लिखे हैं उन्हें पड़ते हुये मेरी आँखों के सामने मल्टीमीडिया प्रभाव से सबकुछ (आपका एक एक शब्द) जीवंत होता दिख रहा था.
जवाब देंहटाएंआज चोकलेट दिवस है - बधाईयाँ
यही तो वसन्त का सन्देश है!
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना!
आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल रविवार 10-फरवरी-13 को चर्चा मंच पर की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है.
जवाब देंहटाएंbahut accha varnan basant ka ....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर व् अभिव्यक्ति ये क्या कर रहे हैं दामिनी के पिता जी ? आप भी जाने अफ़रोज़ ,कसाब-कॉंग्रेस के गले की फांस
जवाब देंहटाएंबसंत ऋतु का सुन्दर वर्णन, मनभावन अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा वसंत ऋतु के आगमन के अवसर पर सुंदर प्रस्तुति बधाई आपको
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएं:-)