क्या मैंने सुना
जो सुना उसी पर सोचा विचारा
फिर भी गहन प्रतिक्रिया दी |
जो तुमने कहा कहीं खो गया
कुछ नया ही हो गया
कहा सुना बेमानी हुआ
अर्थ का अनर्थ हो गया |
फिर भी बहुत खुशी हुई
मन में कुछ हलचल हुई
मन में कुछ हलचल हुई
मैंने कुछ तो सुना सोचा
अपने में खोया नहीं रहा |
यही मुझे भला लगा
कुछ अपना सा लगा
फिर से डूबा अपने में
आशा
सुन्दर कविता | आभार
जवाब देंहटाएंTamasha-E-Zindagi
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भावो को संजोये रचना......
जवाब देंहटाएं'ना बोले तुम ना मैंने कुछ सुना' फिर भी ना जाने कितनी बातें कह दी जाती हैं और ना जाने कितनी सुन ली जाती हैं ! यही भेद तो समझ में नहीं आता ! आप समझ लें तो मुझे भी बता दीजिएगा ! सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंसुंदर भावो को शब्द देती प्यारी रचना ,शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंजो सुना जो समझा, अपना सा लगा और बहुत ख़ुशी हुई, इससे बढ़कर जीवन में दूसरा सुख नहीं.. बहुत सुन्दर प्रस्तुति... आभार आशाजी
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया आंटी
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत ही सुन्दर मनमोहक कविता.
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंआभार आदरेया ।
जवाब देंहटाएंफिर से डूबा अपने में
जवाब देंहटाएंऔर व्यस्त सा हो गया |bahut achcha hua.....
अलग ही मिजाज की कविता अच्छी लगी .
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