11 फ़रवरी, 2013

क्या तुमने कहा ?

क्या तुमने कहा 
क्या मैंने सुना
जो सुना उसी पर सोचा विचारा 
फिर भी  गहन प्रतिक्रिया दी |
जो तुमने कहा कहीं खो गया 
कुछ नया ही हो गया 
कहा सुना बेमानी हुआ 
अर्थ का अनर्थ हो गया  |
फिर भी बहुत खुशी हुई
मन में कुछ हलचल हुई 
मैंने कुछ तो सुना सोचा 
अपने में खोया नहीं रहा  |
यही मुझे भला लगा 
कुछ अपना सा लगा 
फिर से डूबा अपने में
 और व्यस्त सा  हो गया |
आशा 

11 टिप्‍पणियां:

  1. 'ना बोले तुम ना मैंने कुछ सुना' फिर भी ना जाने कितनी बातें कह दी जाती हैं और ना जाने कितनी सुन ली जाती हैं ! यही भेद तो समझ में नहीं आता ! आप समझ लें तो मुझे भी बता दीजिएगा ! सुन्दर रचना !

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  2. सुंदर भावो को शब्द देती प्यारी रचना ,शुभकामनाये

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  3. जो सुना जो समझा, अपना सा लगा और बहुत ख़ुशी हुई, इससे बढ़कर जीवन में दूसरा सुख नहीं.. बहुत सुन्दर प्रस्तुति... आभार आशाजी

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  4. बहुत ही सुन्दर मनमोहक कविता.

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  5. फिर से डूबा अपने में
    और व्यस्त सा हो गया |bahut achcha hua.....

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  6. अलग ही मिजाज की कविता अच्छी लगी .

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