06 मार्च, 2013

अहसास

अहसासों की दुनिया
लगती सब से भिन्न
है जीवन का  हिस्सा अभिन्न
मन में भरती   रंग
जब भी मनोभाव टकराते
जोर का शोर होता
अधिकाधिक कम्पन होता
अस्तित्व समूचा  हिलता
मन में तिक्तता भरता
तब कलरव नहीं भाता
कर्ण कटु लगता
विचार छिन्न भिन्न होते
एकाग्रता को डस लेते
यदा कदा  जब भी
कोइ अहसास होता
बीता पल याद दिलाता
 वे यादें जगाता
जब थे सब नए
नया घर वर नए लोग
बर्ताव भी अलग सा
था निभाना सब से
था कठिन परिक्षा सा
वह समय भी बीत गया
कोमल भावों से भरा घट
जाने कब का रीत गया
कठिन डगर पर चल कर
जितने भी अनुभव हुए
एक ही बात समझ में आई
है यथार्थ  ही सत्य
यही पल मेरा अपना
यहीं मुझे जीना है
निस्पृह हो कर रहना है |

आशा 



11 टिप्‍पणियां:

  1. बीते हुए पलों की कसक और यथार्थ की पथरीली दुनिया... यही जीवन है ... अपने एहसासों से सिंचित एक सुन्दर और ईमानदार पोस्ट..

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  2. khoobshurat ahshasजब भी मनोभाव टकराते
    जोर का शोर होता
    अधिकाधिक कम्पन होता
    अस्तित्व समूचा हिलता
    मन में तिक्तता भरता
    तब कलरवनहीं भाता
    कर्ण कटु लगता
    विचार छिन्न भिन्न होते
    एकाग्रता को डस लेते
    यदा कदा जब भी
    कोइ अहसास होता
    बीता पल याद दिलाता
    वे यादें जगाता

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  3. जब भी मनोभाव टकराते
    जोर का शोर होता
    अधिकाधिक कम्पन होता
    अस्तित्व समूचा हिलता
    मन में तिक्तता भरता
    तब कलरवनहीं भाता
    कर्ण कटु लगता
    विचार छिन्न भिन्न होते
    एकाग्रता को डस लेते
    यदा कदा जब भी
    कोइ अहसास होता


    Recent post: रंग,

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  4. बहुत ही सुन्दर रचना.बहुत बधाई आपको

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  5. दिनांक 07/03/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  6. जीवन के कसक और यथार्थ पर बहुत ही सुन्दर कविता,आभार.

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  7. यथार्थता में वास्‍तविक जीवन
    शेष समस्‍त है मतिभ्रमण

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  8. जीवन का यही सत्य सभी के साथ लागू होता है ! हर इंसान के जीवन की कहानी सुंदर शब्दों में बयान की है ! बधाई आपको !

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  9. सच है जीवन तो इसी पल है ... बाकी या तो यादें हैं ... या सपने ...

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