मैं खोती तो दुःख न होता
राह खोज ही लेती
मंजिल तक पहुँच मार्ग
बना ही लेती |
पर हूँ परेशान इसलिए
कि मेरा सुकून खो गया है
अकारण मन बहुत
बेचैन हो गया है |
अब तो मुस्कुराने पर भी
अधिभार लगता है
बाहर कदम बढाने पर
परमिट लगता है |
यदि भूली कोइ प्रमाणपत्र
बहुत शर्म आती है
पढ़े लिखे होने का तमगा
चूंकि माथे पर लगा है |
चूंकि माथे पर लगा है |
मुझसे तो वे ही अच्छी हैं
जो हैं निपट गंवार
आत्म बल तो है उनमें
भय नहीं स्वतंत्र विचरण में |
खोखली मान्यताओं ने
निर्बल बना दिया
सुकून भी खोज न पाई
जाने कहाँ भूल आई |
आशा
sundar prastuti.खोखली मान्यताओं ने निर्बल बना दिया सुकून भी खोज न पाई जाने कहाँ भूल आई
जवाब देंहटाएंढूँढेंगी तो वहीं कहीं मिल जाएगा दबा छिपा ! अपने मन के हर कोने में तलाशिये कहीं रख कर भूल गयी हैं ! किसी समय अनायास ही मिल जाएगा ! चिंता मत करिये ! सुंदर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंwah asah saxena ji, bahut sundar aapko meri hardik shbh kamanaye
जवाब देंहटाएंखोखली मान्यताओं ने निर्बल बना दिया सुकून भी खोज न पाई जाने कहाँ भूल आई
जवाब देंहटाएंwah Asha jee, kuchh shabdo me kitna kuchh kah diya... aapne
bahut khub...
bahut hi bhavpurn sarthk prstuti,abhar.
जवाब देंहटाएंबेहद उम्दा, सार्थक और सुनकर प्रस्तुतीकरण | बधाई |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
बेहद उम्दा, सार्थक और सुनकर प्रस्तुतीकरण | बधाई |
जवाब देंहटाएंकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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सुंदर प्रस्तुति आभार !
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति आभार !
जवाब देंहटाएंसमस्या यह है की यही बहुतों की समस्या है लेकिन धन और अभिमान के दंभ में इंसान इसे मानता नहीं. शांति सबसे बड़ी उपलब्धि है लेकिन भौतिकता में . चकाचौंध में दर्प तो है शांति कहाँ? शांति भोग में नहीं त्याग है .. लेकिन इसे अब कोई मानता नहीं...
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंbahut badhiya...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसाझा करने के लिए धन्यवाद!
सुन्दर सार्थक अभिव्यक्ति..
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