अनाज यदि मंहगा हुआ ,तू क्यूं आपा खोय |
मंहगाई की मार से बच ना पाया कोय ||
कोई भी ना देखता , तेरे मन की पीर |
हर वस्तु अब तो लगती ,धनिकों की जागीर ||
रूखा सूखा जो मिले ,करले तू स्वीकार |
उसमें खोज खुशी अपनी ,प्रभु की मर्जी जान ||
पकवान की चाह न हो ,ना दे बात को तूल |
चीनी भी मंहगी हुई ,उसको जाओ भूल ||
वाहन भाडा बढ़ गया , इसका हुआ प्रभाव |
भाव आसमा छु रहे ,लगता बहुत अभाव ||
इधर उधर ना घूमना ,मूंछों पर दे ताव |
खाली यदि जेबें रहीं ,कोइ न देगा भाव ||
भीड़ भरे बाजार में ,पैसों का है जोर |
मन चाहा यदि ना मिला , होना ही है बोर ||
आशा
जवाब देंहटाएंकल दिनांक 08/04/2013 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपकी प्रतिक्रिया का स्वागत है .
धन्यवाद!
वाह !!!बहुत बेहतरीन सच कहते सुंदर दोहे!!!
जवाब देंहटाएंRECENT POST: जुल्म
बहुत ही बढ़ियाँ रचना...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन....
सटीक ,सुंदर दोहे!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन सच को उजागर करते दोहे,आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक, सटीक और सामयिक रचना
जवाब देंहटाएंवाहन भाडा बढ़ गया , इसका हुआ प्रभाव |
जवाब देंहटाएंभाव आसमा छु रहे ,लगता बहुत अभाव ..
भाव भ्बी बढे ओर आभाव भी हुवा ... दूना असर हुवा ...
यथार्थ का सटीक चित्रण करते चुटीले दोहे ! मज़ा आ गया !
जवाब देंहटाएंआपकी अभिविक्यति शानदार है
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति आदरेया-
जवाब देंहटाएंबहुत ही सार्थक, सटीक दोहे,आभार
जवाब देंहटाएंkadva sach bayan karte huye sundar dohe ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दोहे ।
जवाब देंहटाएंBahut khub...
जवाब देंहटाएंSadar
Marmsparshi Rachna .....
जवाब देंहटाएं