नव संवत्सर का प्रथम दिवस
घर घर सजे दरवाजे
साड़ी की गुड़ियों से
शुभ कामनाएं दे रहे परस्पर
प्यार से गले मिल कर
नौ दिन तक उपवास करते
महिमा गाते दुर्गा माँ की
जौ,तिल घी लौंग की आहुति दे
हवन करते
हवन करते
वायुमंडल की शुद्धि करते
पूरम पूरी ,गुजिया और
देते प्रसाद चने की दाल का
सौहाद्र का इजहार करते
कच्चे आम की कैरी का पना
लगता बड़ा स्वादिष्ट
आज भी है परम्परा इस दिन
सुबह नीम की कोपल खाने की
सुबह नीम की कोपल खाने की
हल्दी कुमकुम देने की
भर गोद आशीष लेने की |
नव वर्ष हो शुभ सभी को
कामना है यही
हर बरस से अच्छा हो्
सद ्भावना है यही |
वैसे तो यह परम्परा महाराष्ट्र की है पर यदि सब लोग इतनी खुशियाँ इसी प्रकार बांटे तो जितना आनंद मिलेगा शायद कम हो |
वैसे तो यह परम्परा महाराष्ट्र की है पर यदि सब लोग इतनी खुशियाँ इसी प्रकार बांटे तो जितना आनंद मिलेगा शायद कम हो |
आशा
आशा जी आपको भी नव संवत्सर की शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंआभार इस सुन्दर पोस्ट के लिए.
सादर
अनु
उम्दा,बहुत प्रभावी जानकारी देती प्रस्तुति !!!
जवाब देंहटाएंrecent post : भूल जाते है लोग,
नवसंवत्सर की शुभ कामनाएँ आशा जी....
जवाब देंहटाएंज्ञान वर्धक रचना ....
धन्यवाद....
bahut acchi lagi jankari deti rachna ...
जवाब देंहटाएंअरे वाह ! बहुत प्यारी रचना ! गुडी पडवा, नव संवत्सर और नव वर्ष की आपको हार्दिक शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंनवसंवत्सर की शुभ कामनाएँ आशा जी !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज बुधवार (10-04-2013) के "साहित्य खजाना" (चर्चा मंच-1210) पर भी होगी! आपके अनमोल विचार दीजिये , मंच पर आपकी प्रतीक्षा है .
सूचनार्थ...सादर!
नव-संवत्सर की मंगल-कामनाएं हमारी ओर से भी!
जवाब देंहटाएंआपको भी नव संवत्सर की बधाई।
जवाब देंहटाएंआपको भी ढेर सारी बधाई के साथ
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