11 जून, 2013

घट छलका


  एक बदरा कहीं से आया 
मौसम पा अनुकूल उसने
डेरा अपना फलक पर जमाया 
 वहीं रुकने का मन बनाया |
दूजे ने पीछा किया
गरजा तरजा
वरचस्व की लड़ाई में 
उससे जा टकराया |
बाहुबल के प्रदर्शन में 
आपसी टकराव में 
दामिनी दमकी
व्योम रौशन किया |
जल  भरा घट छलका
धरती तक आया 
प्रथम वृष्टि की बूंदों से 
वृक्षों ने अवगाहन किया |
नव किशालयों ने
 पूरे उत्साह से 
हवा के  झोंकों के साथ 
वर्षा की नन्हीं बूंदों का 
दिल खोल स्वागत किया |
पंछी चहके गीत गाए
हो विभोर   टहनियों पर झूले
बिछी श्वेत चादर पुष्पों की
उनने  भी सन्मान दिया |
भीनी सुगंध पुष्पों की
 सोंधी खुशबू मिट्टी की 
गवाह उनकी हुई 
खुशनुमां मौसम को
 और हसीन कर गयी |
आशा



20 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति बारिश की !!

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  2. बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार.

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  3. भीनी सुगंध पुष्पों की
    सोंधी खुशबू मिट्टी की
    गवाह उनकी हुई
    खुशनुमां मौसम को
    और हसीन कर गयी |
    दुआ चंदन
    बस रहे पावन
    जहाँ भी रहे !

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  4. बेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (11-06-2013) के अनवरत चलती यह यात्रा बारिश के रंगों में .......! चर्चा मंच अंक-1273 पर भी होगी!
    सादर...!
    शशि पुरवार

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  5. दीदी बिलकुल सामयिक रचना
    पहली बारिश की बधाई
    नमस्कार
    आपकी यह रचना कल बुधवार (12-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  6. अरे वाह ! कितना प्यारा शब्द चित्र खींचा है पहली बारिश का ! आनंद आ गया ! और बादलों की धींगामुश्ती की कल्पना आल्हादित कर गयी ! बहुत प्यारी रचना !

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  7. ऐसा लगा जैसे सामने सब दि‍ख रहा हो....प्रभावी रचना

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  8. सचमुच ऐसा लगा बारिश की ठंडी-ठंडी फुहार पड़ रही हो... वर्षा आगमन की बहुत-बहुत- बधाई... आभार

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  9. टिप्पणी हेतु धन्यवाद संध्या जी |

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  10. मानसून के आने की भीनी सी सुगंध सी आई...
    धन्यवाद इतना सुन्दर एहसास कराने के लिए...

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