मौसम पा अनुकूल उसने
डेरा अपना फलक पर जमाया
वहीं रुकने का मन बनाया |
दूजे ने पीछा किया
गरजा तरजा
गरजा तरजा
वरचस्व की लड़ाई में
उससे जा टकराया |
बाहुबल के प्रदर्शन में
आपसी टकराव में
दामिनी दमकी
व्योम रौशन किया |
जल भरा घट छलका
व्योम रौशन किया |
जल भरा घट छलका
धरती तक आया
प्रथम वृष्टि की बूंदों से
वृक्षों ने अवगाहन किया |
नव किशालयों ने
पूरे उत्साह से
हवा के झोंकों के साथ
वर्षा की नन्हीं बूंदों का
दिल खोल स्वागत किया |
पंछी चहके गीत गाए
हो विभोर टहनियों पर झूले
बिछी श्वेत चादर पुष्पों की
उनने भी सन्मान दिया |
भीनी सुगंध पुष्पों की
सोंधी खुशबू मिट्टी की
पंछी चहके गीत गाए
हो विभोर टहनियों पर झूले
बिछी श्वेत चादर पुष्पों की
उनने भी सन्मान दिया |
भीनी सुगंध पुष्पों की
सोंधी खुशबू मिट्टी की
गवाह उनकी हुई
खुशनुमां मौसम को
और हसीन कर गयी |
आशा
bahut sundar abhivykti,samay milne par ak nazar mere blog par,sadar
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु आभार |
हटाएंआशा
बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति बारिश की !!
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रंजना जी |
हटाएंबहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार.
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आने के लिए आभार |
हटाएंभीनी सुगंध पुष्पों की
जवाब देंहटाएंसोंधी खुशबू मिट्टी की
गवाह उनकी हुई
खुशनुमां मौसम को
और हसीन कर गयी |
दुआ चंदन
बस रहे पावन
जहाँ भी रहे !
ब्लॉग पर आने के लिए आभार |
हटाएंबेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (11-06-2013) के अनवरत चलती यह यात्रा बारिश के रंगों में .......! चर्चा मंच अंक-1273 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
आपको बहुत बहुत धन्यवाद |
हटाएंदीदी बिलकुल सामयिक रचना
जवाब देंहटाएंपहली बारिश की बधाई
नमस्कार
आपकी यह रचना कल बुधवार (12-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
धन्यवाद सरिता जी |
हटाएंअरे वाह ! कितना प्यारा शब्द चित्र खींचा है पहली बारिश का ! आनंद आ गया ! और बादलों की धींगामुश्ती की कल्पना आल्हादित कर गयी ! बहुत प्यारी रचना !
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद
हटाएंऐसा लगा जैसे सामने सब दिख रहा हो....प्रभावी रचना
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आने के लिए आभार |
हटाएंआशा
टिप्पणी हेतु आभार
जवाब देंहटाएंसचमुच ऐसा लगा बारिश की ठंडी-ठंडी फुहार पड़ रही हो... वर्षा आगमन की बहुत-बहुत- बधाई... आभार
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद संध्या जी |
जवाब देंहटाएंमानसून के आने की भीनी सी सुगंध सी आई...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद इतना सुन्दर एहसास कराने के लिए...