हालेदिल बयां करने
उदासी में गुम तुझे देख
हुआ व्यस्त कारण खोजने में |
पर सच्चाई जब सामने आई
कोइ कदम उठा न सका
तेरे ग़म में इतना मशगूल हुआ
उसे अपना ही ग़म समझ बैठा |
सहारा आंसुओं का लिया
पर वे भी कमतर होते गए
जब एक भी शेष न रहा
खुद से ही अदावत कर बैठा |
आंसू भी जब खुश्क हुए
और मन की बात कह न सका
प्यार का इज़हार कर न सका
रुसवाई का सबब बन बैठा |
आशा
बहुत उम्दा अभिव्यक्ति ! सुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंतेरी टिप्पणी का बहुत जोरों से इंतज़ार रहता है |
हटाएंआशा
बड़ा दुखद स्थिति -बढ़िया प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंlatest post: प्रेम- पहेली
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कोमल अहसास ,भावपूर्ण रचना..
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद रीना जी |
हटाएंआशा
तेरे ग़म में इतना मशगूल हुआ
जवाब देंहटाएंउसे अपना ही ग़म समझ बैठा | wastwikta ka bhawpurn warnan ...
धन्यवाद निशा जी |
हटाएंआशा
बहुत सुन्दर एहसास का चित्रण रुसवाई का सबब ...
जवाब देंहटाएंटिप्पणी लेखन को प्रोत्साहन देती है |आभार |
हटाएंआशा
भावुक कर देने वाला एहसास ....
जवाब देंहटाएंआपको टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंआशा
बहुत ख़ूबसूरत भावमयी अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंसर जी आपके ब्लॉग पर अभी जाना नहीं हो पा रहा है |आँख का ओपरेशन हुआ है |अन्यथा न लें |टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंआशा
waah bahut khub
जवाब देंहटाएंअनु जी आपकी टिप्पणी पढ़ना अच्छा लगता है |इस हेतु आभार |
हटाएंआशा
इस हेतु धन्यवाद अरुण जी |
जवाब देंहटाएंआशा
मेरा स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण मैं पूरी लिंक्स नहीं देख पा रही हूँ अन्यथा न लेना |टिप्पणी हेतु आभार
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति ………………।
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