इतने बड़े जहान में
महफिलें सजी बहारों की
चहुओर चहलपहल रहती
उदासी कोसों दूर दीखती |
पर वह अकिंचन
मदमस्त मलय के प्रहार से
आहत एकल सिक्ता कण सा
बहुत असहज हो जाता |
चमक दमक देख कर
अवांछित तत्व सा
कौने में सिमटता जाता
अपना मन टटोलना चाहता |
लगते न जाने क्यूं वहां
सभी रिश्ते आधे अधूरे
सतही लगते
अपनेपन से दूर
रोज बनते बिगड़ते |
बदले जाते कपड़ों से
दिखावे से ओतप्रोत होते
एक भी नहीं उतरता
दिल की गहराई तक |
वह वहां दिखाई देता
मखमल में लगे
टाट के पेबंद सा
दूर जाना चाहता
उस अछूते कौने में
जो हो आडम्बर से परे
भीड़ भाड़ से मुक्त
जहां कोइ अपना हो
टूट कर उसे चाहे
बाहें फैलाए खडा हो
उसे अपने में समेटने को
प्यार की भाषा समझे
छिपाले उसे अपने दिल में |
आशा
महफिलें सजी बहारों की
चहुओर चहलपहल रहती
उदासी कोसों दूर दीखती |
पर वह अकिंचन
मदमस्त मलय के प्रहार से
आहत एकल सिक्ता कण सा
बहुत असहज हो जाता |
चमक दमक देख कर
अवांछित तत्व सा
कौने में सिमटता जाता
अपना मन टटोलना चाहता |
लगते न जाने क्यूं वहां
सभी रिश्ते आधे अधूरे
सतही लगते
अपनेपन से दूर
रोज बनते बिगड़ते |
बदले जाते कपड़ों से
दिखावे से ओतप्रोत होते
एक भी नहीं उतरता
दिल की गहराई तक |
वह वहां दिखाई देता
मखमल में लगे
टाट के पेबंद सा
दूर जाना चाहता
उस अछूते कौने में
जो हो आडम्बर से परे
भीड़ भाड़ से मुक्त
जहां कोइ अपना हो
टूट कर उसे चाहे
बाहें फैलाए खडा हो
उसे अपने में समेटने को
प्यार की भाषा समझे
छिपाले उसे अपने दिल में |
आशा
दिल की गहराई तक
जवाब देंहटाएंवह वहां दिखाई देता
.................बिलकुल सही सुंदर प्रस्तुति।।
नेट की खराबी के कारण बहुत दिन बाद पोस्ट लगा पाई थी |टिप्पणी हेतु बधाई |
हटाएंआशा
आपकी यह रचना कल गुरुवार (27-06-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
जवाब देंहटाएंराजेन्द्र जी ब्लॉग प्रसारण पर अपनी रचना देखी |रचना चयन हेतु आभार |
हटाएंआशा
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27/06/2013 को चर्चा मंच पर होगा
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
धन्यवाद
चर्चा मंच पर अपने रचना देखी |चयन हेतु आभीर |
हटाएंआशा
शुभकामनायें -
बहुत सुंदर रचना ! भावपूर्ण एवँ गहन दर्शन से ओत-प्रोत ! मन को विभोर कर गयी !
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु आभार |
हटाएंआशा
बहुत खूब, बढ़िया प्रतीक विधान भाव संयोजन और अभिव्यक्ति की मुखरता .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद यशोदा जी |
जवाब देंहटाएंआशा
इस चकाचौंध भरी ज़िन्दगी का एक हिस्सा नज़र आते है आज के अधूरे रिश्ते...
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर भाव....
टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंआशा
भीड़ भाड़ से मुक्त
जवाब देंहटाएंजहां कोइ अपना हो
टूट कर उसे चाहे
बाहें फैलाए खडा हो
उसे अपने में समेटने को
प्यार की भाषा समझे
छिपाले उसे अपने दिल में |
प्यार की चाहत पूर्ण रूप से पाने की -अति सुन्दर
latest post जिज्ञासा ! जिज्ञासा !! जिज्ञासा !!!
ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद |
हटाएंआशा
जीवन दर्शन से भरी ... प्रेम की छोटी सी चाहत लिए ...
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना ...
रचना अच्छी लगी इस हेतु धन्यवाद |
हटाएंआशा
बहुत बेहतरीन
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद सक्सेना जी |
हटाएंआशा
बहुत सुंदर एवं सार्थक रचना...
जवाब देंहटाएंकाफी समय बाद आज आपको ब्लॉग पर देख कर प्रसन्नता हुई
हटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद |
आशा
लाजवाब रचना
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंआशा
बहुत बेहतरीन
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आने के लिए आभार |
हटाएंआशा
जीवन की चकाचौंध मे ...भीड़ मे भी अकेला मन ....बहुत सुंदर रचना ...
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें ॰
सुंदर एवम् भावपूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंमैं ऐसा गीत बनाना चाहता हूं...
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जवाब देंहटाएंhttp://javacodeimpl.blogspot.com