17 जून, 2013

आपसी बैर

आज एक बहुत पुरानी कहानी याद आई |दो बिल्ली कहीं से एक रोटी लाईं और खाने के लिए आपस में झगड़ने लगीं |एक बन्दर उनका झगड़ा देख  रहा था |
उसने कहा क्यूं झगड़ रही हो ?मेरे पास आओ मैं हिस्सा कर देता हूँ
बिल्ली ने रोटी बन्दर को दी |उसने रोटी के दो भाग  किये |जिसमें रोटी ज्यादा थी उसमें से रोटी तोड़ीऔर खा गया |हर बार वह रोटी तोड़ता और जो हिस्सा ज्यादा दीखता उसे खा जाता |धीरे धीरे वह पूरी रोटी खा गया और बिल्लियाँ
देखती ही रह गईं |दौनों की लड़ाई में तीसरे का भला हो गया वे ठगी सी  देखती ही रह गईं |देखिये यह कविता शायद अच्छी लगे :-
धर में चिराग आया 
स्वप्नों की बारिश हुई 
बढ़ते देर ना लगी 
आशा भी बढ़ने लगी 
स्कूल गए कॉलेज गए 
पर न्याय शिक्षा से ना किया 
लक्ष तक पहुँच नहीं पाए 
जैसे तैसे धरती को छुआ 
मस्तिष्क बहुत विचलित हुआ 
पढ़ा लिखा व्यर्थ गया 
राजनीति का भूत चढ़ा
गले गले तक पंक में डूबे
पहले जो कभी दोस्त हुआ करते थे 
अब आपस में  लड़ते झगड़ते 
एक दूसरे की काट करते 
भीतर घात  करते 
देश हित भूल कर 
केवल अपना घर भरते 
आम आदमीं ठगा गया 
खुद पर ही लज्जित हुआ 
कैसा नेता चुन लिया 
देश गर्त में डुबो दिया 
आपसी लड़ाई में 
देश खोखला किया
धर के चिराग ने ही 
आशियाना जला दिया |
आशा



9 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार (18-06-2013) के चर्चा मंच -1279 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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  2. वर्तमान परिप्रेक्ष्य को रेखांकित करती सार्थक और सटीक रचना .....
    साभार......

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  3. कुछ कहानियां हर स्थिति में प्रासंगिक लगती हैं ! बहुत ही बढ़िया रचना ! इस बन्दर बाँट में हानि आम आदमी की ही हो रही है !

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  4. आज की परिस्थिति को रखांकित करती सुन्दर रचना.
    latest post पिता
    LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
    l
    आशा जी कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें

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  5. यह इतना सन्नाटा क्यों है भाई ? बहुत दिनों से नयी पोस्ट नहीं डाली ! हमें बेसब्री से इंतज़ार है !

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    1. क्या बताएं ५-६ दिन से केबल कनेक्शन में कोई बड़ा फाल्ट आ गया था बस बभी हाल ही सुधार हुआ है |
      आशा

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