तकलीफों को गले लगा कर
सीने में बसा लिया है
ये हें दोस्त मेरी
ताउम्र साथ निभाने का
वादा जो किया है |
(२)
अन्धकार होते ही
श्याम रंग ऐसा छाता
हाथ को हाथ न सूझता
साया तक साथ न देता
बेचैन उसे कर जाता |
(३)
इस गुलाब की महक ही
खींच लाई है आप तक
मैंने राह खोज पाई है
आपके ख्वावगाह तक |
(४)
रिश्ते खून के ताउम्र
जौंक से चिपके रहते
कतरा कतरा रक्त का
चूस कर ही दम लेते |
(५)
चाँद तूने वादा किया था
रोज रात आने का
पर तूने मुंह छिपाया
बादलों की ओट में |
(६)
की तूने वादा खिलाफ़ी
हद हुई नाइंसाफ़ी की
कारण तक न बताया
अपने इस पलायन का |
आशा
(३)
इस गुलाब की महक ही
खींच लाई है आप तक
मैंने राह खोज पाई है
आपके ख्वावगाह तक |
(४)
रिश्ते खून के ताउम्र
जौंक से चिपके रहते
कतरा कतरा रक्त का
चूस कर ही दम लेते |
(५)
चाँद तूने वादा किया था
रोज रात आने का
पर तूने मुंह छिपाया
बादलों की ओट में |
(६)
की तूने वादा खिलाफ़ी
हद हुई नाइंसाफ़ी की
कारण तक न बताया
अपने इस पलायन का |
आशा
baht badhiya
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद
हटाएंआपकी लिखी रचना मुझे बहुत अच्छी लगी .........
जवाब देंहटाएंशनिवार 19/10/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
में आपकी प्रतीक्षा करूँगी.... आइएगा न....
धन्यवाद!
टिप्पणी हेतु और सूचना के लिए आभार यशोदा जी |
हटाएंबहुत सुदर एवँ भावपूर्ण क्षणिकाएं ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु आभार |
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (19-10-2013) "शरदपूर्णिमा आ गयी" (चर्चा मंचःअंक-1403) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सूचना हेतु धन्यवाद शास्त्री जी |टिप्पणी लेखन को बल देती हैं |पुनः यहाँ आने के लिए आभार |
हटाएंआशा
सुंदर रचना के लिये ब्लौग प्रसारण की ओर से शुभकामनाएं...
जवाब देंहटाएंआप की ये खूबसूरत रचना आने वाले शनीवार यानी 19/10/2013 को ब्लौग प्रसारण पर भी लिंक की गयी है...
सूचनार्थ।
सूचना हेतु आभार कुलदीप जी |
हटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद
जवाब देंहटाएंहर छंद बहुत सुन्दर है ,अर्थपूर्ण है |
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट महिषासुर बध (भाग तीन)
latest post महिषासुर बध (भाग २ )
टिप्पणी हेतु धन्यवाद प्रसाद जी |
हटाएंसभी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर और भावपूर्ण हैं
जवाब देंहटाएंआपको क्षणिकाएं अच्छी लगी जान कर बहुत प्रसन्नता हुई |टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंआशा
सुदर एवँ भावपूर्ण
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रमेश जी |
हटाएंसुंदर क्षणिकाएं। रिश्तों वाली बहुत अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंआपको बहुत बहुत धन्यवाद |
हटाएंबहुत सुंदर रचना है...मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.
जवाब देंहटाएंhttp://iwillrocknow.blogspot.in/
पहली बार ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद |
हटाएंआशा
धन्यवाद राजीव जी
जवाब देंहटाएं