18 अक्टूबर, 2013

क्षणिकाएँ

(१)
तकलीफों को गले लगा कर 
सीने में बसा लिया है 
ये हें दोस्त मेरी 
ताउम्र  साथ निभाने का
 वादा जो किया है |
(२)
अन्धकार होते ही
 श्याम रंग ऐसा छाता 
हाथ को हाथ न सूझता 
साया तक साथ न देता 
बेचैन उसे कर जाता |
(३)
इस  गुलाब की महक ही
खींच लाई है आप तक
मैंने राह खोज पाई है
आपके ख्वावगाह तक |
(४)
रिश्ते खून के ताउम्र
जौंक से चिपके रहते
कतरा कतरा रक्त का
चूस कर ही दम लेते |
(५)
चाँद तूने वादा किया था
रोज रात आने का
पर तूने मुंह छिपाया
बादलों की ओट में |
(६)
की तूने वादा खिलाफ़ी
हद हुई नाइंसाफ़ी की
कारण तक न बताया
अपने इस पलायन का |
आशा

22 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना मुझे बहुत अच्छी लगी .........
    शनिवार 19/10/2013 को
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
    में आपकी प्रतीक्षा करूँगी.... आइएगा न....
    धन्यवाद!

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    1. टिप्पणी हेतु और सूचना के लिए आभार यशोदा जी |

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  2. बहुत सुदर एवँ भावपूर्ण क्षणिकाएं ! बहुत खूब !

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (19-10-2013) "शरदपूर्णिमा आ गयी" (चर्चा मंचःअंक-1403) पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    1. सूचना हेतु धन्यवाद शास्त्री जी |टिप्पणी लेखन को बल देती हैं |पुनः यहाँ आने के लिए आभार |
      आशा

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  4. सुंदर रचना के लिये ब्लौग प्रसारण की ओर से शुभकामनाएं...
    आप की ये खूबसूरत रचना आने वाले शनीवार यानी 19/10/2013 को ब्लौग प्रसारण पर भी लिंक की गयी है...

    सूचनार्थ।

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  5. सभी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर और भावपूर्ण हैं

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    1. आपको क्षणिकाएं अच्छी लगी जान कर बहुत प्रसन्नता हुई |टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
      आशा

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  6. सुंदर क्षणिकाएं। रिश्तों वाली बहुत अच्छी लगी।

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  7. बहुत सुंदर रचना है...मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है.
    http://iwillrocknow.blogspot.in/

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    1. पहली बार ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद |
      आशा

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