10 अक्टूबर, 2013

बेटी



(१)
घर की शान हैं बेटियाँ 
सुख की बहार हैं बेटियाँ 
उन बिन घर अधूरा है 
मन की मुराद हैं बेटियाँ  |
(२)
वे जंगली बेल नहीं 
ना ही किसी पर  कर्ज
नाजुक हरश्रृंगार के फूलों  सी 
हैं आँगन की बहार  बेटियाँ |
(३)
धांस फूस सी बढ़ती बेटी 
संग हवा के बहती जाती 
सामंजस्य यदि ना हो पाता
पा तनिक धूप  मुरझा जाती |
(४)
 मन्नतों के बाद तुझे पाया 
हुआ दुआओं का असर 
तुझे बड़ा कर पाया 
अब आँखों सेओट न होना 
मेरा सपना तोड़ न देना |
आशा


23 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति-
    आभार -
    १२-२३ प्रवास पर हूँ-सादर

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज शुक्रवार (11-10-2013) चिट़ठी मेरे नाम की (चर्चा -1395) में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. घर आँगन की शान हैं बेटियाँ
    मात-पिता का मान हैं बेटियाँ !
    बेटियों को समर्पित बहुत सुन्दर रचना !

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  4. १) घर की शान हैं बेटियाँ सुख की बहार हैं बेटियाँ
    उन बिन घर अधूरा है मन की मुराद हैं बेटियाँ...

    महा-लक्ष्मियों को प्रणाम। सुन्दर उदगार।

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  5. घर आँगन की शान हैं बेटियाँ
    मात-पिता का मान हैं बेटियाँ !

    बेटियों को समर्पित बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति !
    नवरात्रि की शुभकामनाएँ ...!

    RECENT POST : अपनी राम कहानी में.

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    उत्तर
    1. टिप्पणी हेतु धन्यवाद |नवरात्रि शुभ और मंगल मय हो |

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