यूं तो है
अंगूठाटेक
पर सजग सचेत
दुनिया किधर जा
रही है
हर नब्ज परखता है
हर कदम
पहचानता है
जानता है
महत्व वोट का
है वह भाग्य
विधाता
नेता जी के
भविष्य का
उत्सुक भी है कब
मशीन में बंद
भाग्य
नेता का होगा
जो भी नेता आता
है
खुद को मददगार
बताता
झुक झुक कर
प्रणाम करता
फिर खोलता पिटारा
वादों का
पर आज का मतदाता
भ्रम नहीं पालता
तत्काल मांगे
पूरी हों
यह लिखित में
चाहता
आज जो भी मिल रहा
है
पूरा उपभोग उसका
करता
कल की क्यूं
फिक्र करे
वह बदला लेना जान
गया है
होगा कल क्या
पहचान गया है |
आशा
बढ़िया प्रस्तुति-
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीया-
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार को (24-11-2013) बुझ ना जाए आशाओं की डिभरी ........चर्चामंच के 1440 अंक में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सच में आज का मतदाता बहुत सयाना हो गया है और अब वह अपनी शर्तों पर नेता जी से नाक रागड़वाना भी बखूबी सीख गया है ! बस चिता यही होती है कि मतदान के समय अपने निजी राग द्वेष को परे हटा वह विवेक का इस्तेमाल करे और सही प्रत्याशी को वोट दे ! बहुत ही सामयिक एवँ उम्दा प्रस्तुति !
हटाएंसही प्रत्याशी की परिभाषा क्या है.....?फिर प्रत्याशी के सही हाई कमान की परिभाषा क्या है..... हाई कमान के पश्चात सही तंत्र की परिभाषा क्या है.....?
हटाएंअब तक चयनित सभी प्रत्याशी योग्य थे ?, हाँ ! तो हर कोई बिकाऊ क्यों है..... ?
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