23 नवंबर, 2013

मतदाता





यूं तो है अंगूठाटेक
पर सजग सचेत
दुनिया किधर जा रही है
हर नब्ज परखता है
हर कदम पहचानता  है
जानता है महत्व  वोट का
है वह भाग्य विधाता
नेता जी के भविष्य का
उत्सुक भी है कब
मशीन में बंद भाग्य
 नेता का होगा
जो भी नेता आता है
खुद को मददगार बताता
झुक झुक कर प्रणाम करता
फिर खोलता पिटारा वादों का
पर आज का मतदाता 
भ्रम नहीं पालता
तत्काल मांगे पूरी हों
यह लिखित में चाहता
आज जो भी मिल रहा है
पूरा उपभोग उसका करता
कल की क्यूं फिक्र करे
वह बदला लेना जान गया है
होगा कल क्या पहचान गया है |
आशा

5 टिप्‍पणियां:

  1. बढ़िया प्रस्तुति-
    आभार आदरणीया-

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार को (24-11-2013) बुझ ना जाए आशाओं की डिभरी ........चर्चामंच के 1440 अंक में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    उत्तर
    1. सच में आज का मतदाता बहुत सयाना हो गया है और अब वह अपनी शर्तों पर नेता जी से नाक रागड़वाना भी बखूबी सीख गया है ! बस चिता यही होती है कि मतदान के समय अपने निजी राग द्वेष को परे हटा वह विवेक का इस्तेमाल करे और सही प्रत्याशी को वोट दे ! बहुत ही सामयिक एवँ उम्दा प्रस्तुति !

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    2. सही प्रत्याशी की परिभाषा क्या है.....?फिर प्रत्याशी के सही हाई कमान की परिभाषा क्या है..... हाई कमान के पश्चात सही तंत्र की परिभाषा क्या है.....?

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    3. अब तक चयनित सभी प्रत्याशी योग्य थे ?, हाँ ! तो हर कोई बिकाऊ क्यों है..... ?

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