(१)
फूल क्या जिसने
ओस से प्यार न किया हो
भावों में बह कर उसे
बाहों में न लिया हो |
(२)
टपकती ओस
ठिठुरन भरी सुबह की धुप
देखे बिना चैन नहींआता
ओस में नहाया पुष्प
अनुपम नजर आता |
(३)
फूलों की फूलों से बातें
कितनी अच्छी लगती हैं
प्यार भरी ये सौगातें
मन को सच्ची लगती हैं |
फूलों की फूलों से बातें अच्छी लगी !
जवाब देंहटाएंसुंदर अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंक्या बात! वाह!
जवाब देंहटाएंbahut ache.
जवाब देंहटाएंVinnie
बहुत ही सुंदर , हर्षित करती रचना आदरणीय धन्यवाद
जवाब देंहटाएंनया प्रकाशन -: कंप्यूटर है ! - तो ये मालूम ही होगा -भाग - १
फूल और ओस का सुन्दर संगम ....
जवाब देंहटाएं:-)
wah sundar ! full oos ek duje kay liye
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी रचना ! फूलों से फूलों की बातें बहुत अच्छी लगीं !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर अभिव्यक्ति,भावपूर्ण पंक्तियाँ ...!
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RECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.
आपकी इस प्रस्तुति को आज की बुलेटिन भारत का सबसे गरीब मुख्यमंत्री और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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