12 सितंबर, 2013

अपनी भाषा


भारत में जन्मीं रची बसी
मिट्टी के कण कण में
यहाँ कई प्रदेश विभिन्न वेश
भाषाएँ भी जुदा जुदा
तब भी जुड़े एक बंधन में
संस्कृति के समुन्दर में
पर है  अकूट भण्डार साहित्य का
हर भाषा लगती  विशिष्ट
और धनवान अपने वैभव में
हिन्दी भी है उनमें एक  
न जाने क्यूं लगता है
सरल सहज अभिव्यक्ति के लिए
उसके जैसा कोइ नहीं
तब भी जंग चल रही है
अस्तित्व को बचाने की
उसे राष्ट्र भाषा बनाने की
वर्षों तक गुलाम रहे
मन मस्तिष्क भी परतंत्र हुआ
अंग्रेजी  सर चढ़ कर बोली
काम काज की भाषा बनी
भूल गए अपनी भाषा ,
अपनी संस्कृति ,उसकी महानता
तभी तो आज यहाँ अपनी  भाषा 
खोज रही अस्तित्व अपना |

11 सितंबर, 2013

हे गणेश


गणेश जन्म उत्सव पर हार्दिक शुभ कामनाएं :-
हे गणेश ,गणपति ,गणनायक
प्रथम पूज्य हे सिद्धि विनायक
सब के कष्ट निवारण करते
सुख वैभव से हर  घर भरते
सर्व प्रथम पूजे जाते 
तभी कार्य सार्थक हो पाते 
मन से जो भी तुमको ध्याता 
इह लोक में सब कुछ पाता |
आशा

08 सितंबर, 2013

बिखरते रंग


यह रंग की तरंग 
और उसका अक्स जीवन पर 
करता रंगीन सारा समा
इसके बिना सब सूना यहाँ |
एक छोटा सा भी पत्थर
जब गिरता स्थिर जल में
उथलपुथल मचा जाता
शान्ति भरे जीवन में |
कई रंग बिखर जाते
अक्स कहीं गुम हो जाते
बहुत समय लग जाता
स्थिरता आने में |
अस्थिर जल चंचल मन
दूर दूर तक जा कर भी
थाह नहीं ले पाते
रंगबिरंगी दुनिया के
अनछुए पहलुओं की
अनकही बातों की |
आई आंधी साथ ले चली
सूखी मुरझाई पत्तियाँ
मन भी पीछे न रहा
उनके साथ हो लिया
रंग यहीं बिखर कर रह गए
 उन्हें समेट न पाया
वह साथ तो चला गया
पर फिर लौट न पाया |
आशा