02 जनवरी, 2014

जीने न दे---







जीने न देते
बीते कल के साए
आहत हूं मैं |
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है कलाकार
रंग मंच पर छा
ना छोड़ आस |

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कर प्रकाश
मोम बत्ती रात में
हम हें साथ |
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साथ न आना
धुंआ बन रहना
आसमान में |
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यह पतंग
प्रेम रंग में रंगी
उड़े व्योम में |
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 यह दर्पण

दामन सच्चाई का

 झूट न बोले 





सुस्वागतम 
ए नव वर्ष आज
खिले सुमन |
यह आइना
 चिढ़ाता है मुझको
मुझे जाने ना |
  
जश्न ही मना 
प्रातः से संजा तक 
ना कर काम |
आशा

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बृहस्पतिवार (02-01-2014) को "नये साल का पहला दिन" चर्चा - 1480 में "मयंक का कोना" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    ईस्वी नववर्ष-2014 की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. हाइकु और मेल खाती चित्र का चयन बहुत सुन्दर!
    नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
    नई पोस्ट नया वर्ष !
    नई पोस्ट मिशन मून

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  3. बहुत सुंदर प्रस्तुति...!
    नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाए
    RECENT POST -: नये साल का पहला दिन.

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  4. विभिन्न मानसिक अवस्थाओं को बयां करती पंक्तियाँ !
    नव वर्ष की बहुत शुभकामनाए!

    जवाब देंहटाएं
  5. सुन्दर प्रस्तुति-
    शुभकामनायें आदरणीया-

    जवाब देंहटाएं
  6. आप को नव वर्ष 2014 की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ!

    कल 03/01/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  7. अरे वाह ! क्या बात है ! बहुत ही खूबसूरत चित्र और उन्हें परिभाषित करते और भी सुंदर हाईकू !

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