खेतों के उस पार
अस्ताचल को जाता सूरज
वृक्षों के बीच छिपता छिपाता
सुर्ख दिखाई देता सूरज |
पीपल के पेड़ पर
पक्षियों ने डेरा डाला
कलरव सुनाई देता उनका
फिर अचानक शान्ति हो गयी
उनकी रात हो गयी |
अब घरों की छत पर
शाम उतर आई है
आसमान भी हुआ धूसर
पर छत पर बहार आई है |
बच्चे कर रहे धमाल
तरह तरह के करतब करते
नए नए गानों पर थिरकते
चेहरे पर थकान का नाम नहीं |
मस्ती ही उनका वैभव
यह जीवन लौट कर न आएगा
यादों में समा जाएगा
बचपन की सौगात सा |
आशा
बहुत सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : सिनेमा,सांप और भ्रांतियां
टिप्पणी हेतु धन्यवाद सर |
हटाएंबच्चों के संसार और गतिविधियों को सुंदर शब्दों में वर्णित किया है ! बढ़िया रचना !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
हटाएंसूचना हेतु धन्यवाद सर |
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर व सार्थक रचना , आ० आशा जी धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंलोकल एरिया नेटवर्क क्या है ? - { What is a local area network ( L.A.N ) ? }
बहुत बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
धन्यवाद संजय |
हटाएंधन्यवाद टिप्पणी हेतु |
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु धन्यवाद सर |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अभिषेक जी |
जवाब देंहटाएंकोई लौटा दे मेरे बचपन के दिन
जवाब देंहटाएंबहुत भावभीनी अभिव्यक्ति.
टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंसुंदर रचना...
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद कुलदीप जी |
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