एक पार्टी ने धक्का दिया
दूसरी ने बांह थामी
पद प्रलोभन हावी हुआ
वह तुम्हारी तरफ हुआ |
इस बात को अभी
अधिक समय नहीं हुआ
तुमने फिर किक लगाई
फुटबाल हो कर रह गया |
तीसरा मोर्चा याद आया
जुगाड़ की वहां जाने की
वहां भी वही खींचातानी
इसकी उसकी बुराई |
राजनीति इतनी ओछी है
कल्पना न की थी कभी
हाई कमान किसे समझे
आज तक मालूम नहीं |
आम जनता का रुख भी
स्पष्ट नहीं लगता
भीतर घात का भय
सदा बना रहता |
चुनाव गले की फांसी है
या गले में अटकी हड्डी
दलदल में फँस गया है
निकल नहीं सकता |
कुरुक्षेत्र की लड़ाई में
चक्रव्यूह में फँस गया है
राजनीति के मैदान में
फुटबाल बन कर रह गया है |
कुरुक्षेत्र की लड़ाई में
चक्रव्यूह में फँस गया है
राजनीति के मैदान में
फुटबाल बन कर रह गया है |
ये जनतंत्र बचा रहे तो भी खैर है ... नेता लोगों का तो काम यही रह गया है अब ...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर |
हटाएंसुन्दर बेहतरीन प्रस्तुति आपकी।
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई
एक नज़र :- हालात-ए-बयाँ: जज़्बात ग़ज़ल में कहता हूँ
धन्यवाद |
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (26-03-2014) को फिर भी कर मतदान, द्वार पर ठाढ़े नेता- चर्चा मंच 1563 में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सूचना हेतु धन्यवाद सर |
हटाएंराजनैतिक वातावरण और आज के नेताओं की मानसिकता का सटीक चित्रण ! बहुत बढ़िया !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद |
हटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन इंसान का दिमाग,सही वक़्त,सही काम - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु धन्यवाद सर |
हटाएंसटीक चित्रण...
जवाब देंहटाएंबहुत बढियां...
धन्यवाद रीना जी |
हटाएंनेताओं की मानसिकता का सटीक चित्रण
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंसटीक चित्रण.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : सिनेमा,सांप और भ्रांतियां
धन्यवाद सर |
हटाएंराजनीति के मैदान पर फुट्बाल..... बहुत खूब कहा आपने
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अपर्णा जी |
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