25 मार्च, 2014

कुरुक्षेत्र



एक पार्टी  ने धक्का दिया
दूसरी ने बांह थामी 
पद प्रलोभन हावी हुआ
वह तुम्हारी तरफ हुआ |
इस बात को अभी
अधिक समय नहीं हुआ
तुमने फिर किक लगाई
फुटबाल हो कर रह गया |
तीसरा मोर्चा  याद आया
जुगाड़ की  वहां जाने की 
वहां भी वही खींचातानी
इसकी उसकी बुराई |
राजनीति इतनी ओछी है
कल्पना न की थी कभी
हाई कमान किसे समझे 
आज तक मालूम नहीं |
आम जनता का रुख भी
स्पष्ट नहीं लगता
भीतर घात का भय
 सदा बना रहता |
चुनाव गले की फांसी है
या गले में अटकी हड्डी
दलदल में फँस गया है
निकल नहीं सकता |
कुरुक्षेत्र की लड़ाई में 
चक्रव्यूह में फँस गया है 
राजनीति के मैदान में 
फुटबाल बन कर रह गया है |

18 टिप्‍पणियां:

  1. ये जनतंत्र बचा रहे तो भी खैर है ... नेता लोगों का तो काम यही रह गया है अब ...

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  2. सुन्दर बेहतरीन प्रस्तुति आपकी।
    हार्दिक बधाई

    एक नज़र :- हालात-ए-बयाँ: जज़्बात ग़ज़ल में कहता हूँ

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज बुधवार (26-03-2014) को फिर भी कर मतदान, द्वार पर ठाढ़े नेता- चर्चा मंच 1563 में "अद्यतन लिंक" पर भी है!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. राजनैतिक वातावरण और आज के नेताओं की मानसिकता का सटीक चित्रण ! बहुत बढ़िया !

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  5. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन इंसान का दिमाग,सही वक़्त,सही काम - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  6. नेताओं की मानसिकता का सटीक चित्रण

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  7. राजनीति के मैदान पर फुट्बाल..... बहुत खूब कहा आपने

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