05 मार्च, 2014

सब सतही

प्यार न दुलार
 सब सतही
खून ठंडा हो गया
या सफेद
उसमें उबाल
 न आता |
अशांत मन
किसी की सच्चाई
नहीं जानता
इसी लिए
अपने हक़ के लिए
जूझना भी
नहीं चाहता |
सोचा हुआ
पूरा न होता
उदासी का कारण
समझ न आता |
आशा

4 टिप्‍पणियां:

  1. सोचा हुआ
    पूरा न होता
    उदासी का कारण
    समझ न आता |
    उदासी का कारण तो साफ़ है ना ! सोचा हुआ पूरा न होगा तो मन तो उदास होगा ही ! सुंदर रचना !

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  2. बहुत सुंदर रचना आशाजी ...शून्य सा पसरा हुआ है चारो और ....

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  3. टिप्पणी हेतु धन्यवाद अदिति जी

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