07 मार्च, 2014

तस्वीर कुछ कह गयी


               (१)
है चन्दा या सूरज यह तो पता नहीं
 पर जल से है यारी इस में शक नहीं |


(२)
रात कितनी भी स्याह क्यूं न हो
 चाँद की उजास कम नहीं होती
प्यार कितना भी कम से कमतर हो
उसकी उन्सियत कम नहीं होती |
(3)
महकता मोगरा
महकता उपवन
बालों में यूं  सजता
झूमता योवन |
(४)
खेतों में आई बहार
पौधों ने किया नव श्रृंगार
रंगों की देखी विविधता
उसने मन मेरा जीता
आशा

13 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर प्रस्तुति ! हर तस्वीर बहुत कुछ कह गयी !

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  2. बहुत दिनो बाद आपको देखा है ब्लॉग पर |धन्यवाद |

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  3. चित्रों पर शब्दों कि सुन्दर भावनाएं....
    :-)

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