है वह गुनाहगार तेरी क्यूं कि
तू भी कुछ कर सकता है
यह जज्बा तुझमें
पैदा होने न दिया |
है तू भी सक्षम
हर उस कार्य के लिए
हर उस कार्य के लिए
जो वह हाथों में कर के देती रही
आगे पीछे घूमती रही
बिना बैसाखी चलना
तू भूल गया |
तू भूल गया |
आज भी तू कोई कदम
उठा नहीं सकता
उठा नहीं सकता
बिना उसके सहारे के |
प्यार और दुलार ने
तुझे अकर्मण्य बना दिया
ना कभी कुछ कर पाया
ना चाहत जागी कर्मठ बनने की
स्वयं कुछ करने की |
पहले माँ के
पल्लू से बंधा रहा
अब हो कर रह गया है
परजीवी अपनी होनहार पत्नी का |
आशा
ओह ………… सच्चाई बयां कर दी आपने।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संजय |
हटाएंसार्थक सृजन ! बहुतों की कहानी बयान कर दी ! बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत धन्यवाद |
हटाएंबढ़िया बात रखी है आपने ..... आ. धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
धन्यवाद सर
हटाएंसच्चाई बयान कर दी आपने . .
जवाब देंहटाएंमंगलकामनाएं आपको !
धन्यवाद सतीश जी |
हटाएंसच्चाई से रूबरू कराती रचना.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट : मिथकों में प्रकृति और पृथ्वी
टिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंहाँ आशा जी, बेटा, भाई, पति मतलब कोई भी पुरुष पात्र हो,हर तरह उसका ध्यान रखना ,सेवा करना स्त्री का कर्तव्यमान लिया गया और वे पूरी तरह निर्भर हो गए ,ये तो पुरानी कहानी है .मेरी रिश्ते की जिठानी ,मुझसे बहुत बड़ी ,कहा करती थीं ,आदमी को ऐसा बना दो कि उसे ये लगने लगे कि तुम्हारे बिना उसका काम ही नहीं चल सकता ,वो तुम्हारे बिना रह ही नहीं सकता .मुझे सुन कर हँसी आती थी पर ,ये उन महिलाओं की अपनी मजबूरी रही होगी क्या करतीं ,बेचारी ,इसी तरह अपना महत्व स्थापित करना ,अपनी अनिवार्यता बनाए रखना उनके लिए ज़रूरी हो गया होगा .
जवाब देंहटाएंसमय के साथ बदलाव आयेगा .
मैं आपके विचारों से पूर्णतया सहमत हूँ |आश्चर्य तो यह है कि आज भी कई धरों में यह नजारा देखा जा सकता है |
हटाएंबहुत सुंदर ........ उम्दा !!
जवाब देंहटाएंटिप्पणी हेतु धन्यवाद |
हटाएंबहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंधन्यवाद सर |
हटाएंआज का सच्....
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रश्मि जी टिप्पणी हेतु |
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंसूचना हेतु धन्यवाद सर |
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