10 अप्रैल, 2014

एक मतदाता

यह रचना एक सच्चे किस्से पर आधारित है |जब लोग अपना वोट मतदान पेटी में डाला करते थे |

एक प्रत्याशी आया
बड़े प्रलोभन लाया
टेम्पो में सब को लिया
बूथ तक ले आया |
तुमने वोट दिया
 मैंने भी वोट दिया
एक महान कार्य
 सम्पन्न किया |
एक सीधा साधा प्राणी
बड़े उत्साह से आया
लिस्ट में नाम खोज
बूथ में प्रवेश पाया |
स्याही लगवाई
जोर से गुहार लगाई
वोटिग मशीन
कहाँ है भाई |
चेहरा खुशी से
 दमकता था
जब एक साथ
 कई बटन दबाए |
उत्सुक  प्रत्याशी
पूछ बैठा
किसको वोट दिया
जवाब  मिला
सब को खुश किया |
आग बबूला प्रत्याशी
अपना आपा खो बैठा
घूंसे लात जमाए
वहीं छोड़ कर चल दिया |
चोट खाया वोटर
 सोच में डूबा
सब को खुश किया उसने
क्या गलत किया |
आशा

12 टिप्‍पणियां:

  1. वाह क्या बात है ! लेकिन तकनीकी रूप से यह संभव कहाँ है मैडम जी ! सबको खुश करने की बजाय वोटर स्वयं को खुश करे वही ठीक होगा ! बढ़िया रचना !

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  2. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (11.04.2014) को "शब्द कोई व्यापार नही है" (चर्चा अंक-1579)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, वहाँ पर आपका स्वागत है, धन्यबाद।

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  3. वोटिंग मशीन पर एक साथ कई बटन नहीं दबाए जा सकते।

    ऐसा सिर्फ बैलेट पेपर के दौर मे ही संभव था कि एक साथ कई प्रत्याशियों के नाम के आगे मुहर लगाई जा सके। हालांकि तब भी ऐसा करने पर मत गणना के समय ऐसे वोट को रद्द माना जाता था।

    सादर

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    1. यह घटना एक पोलिग बूथ की है जब वोट पेटी में डाले जाते थे उस व्यक्ति ने कहा था तूभी ले ,तूभी ले, तू भी ले और मतपत्र ऊपर रख कर चला गया था |जोप्रत्याशी उसे लाया था उसने उसे बहुत पीता और बिना लिए ही चला गया |

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  4. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन दिखावे पे ना जाओ अपनी अक्ल लगाओ - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  5. वाह....ऐसा होता है...बहुत बढ़ि‍या लि‍खा आपने..

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  6. करना तो ऐसा ही चाहिये। कोई सही नही है या सब सही हैं।

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