रे मन मेरे
क्यूं उलझा रहता
चैन गवाता |
तारीफ तेरी
किस बात के लिए
जख्म दे गयी |
बाण नैनों के
नागिन जैसी जुल्फें
दीवाना करें |
दो पटरियां
चांदनी रात कहे
दूर जाना है |
दो पटरियां
मिल न पातीं कभी
साथ चलतीं |
जाना चाहती
दूर क्षितिज तक
भावों को लिए |
पक्षी चहका
छु कर क्षितिज को
क्षमता जागी |
दूर क्षितिज तक
भावों को लिए |
पक्षी चहका
छु कर क्षितिज को
क्षमता जागी |
हाथ बढ़ाया
मिलन की आस में
क्षितिज तक |
आशा
मिलन की आस में
क्षितिज तक |
आशा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Your reply here: