11 जून, 2014

है दुरूह




है दुरूह कंटकीर्ण मार्ग
पूरा जीवन जीना
इतना सहज नहीं
जैसा दिखाई देता |
उसी पर अग्रसर होना है
अनगिनत बाधाएं
पग पग  पर होंगी
 पार उन्हें  करना है |
ठोकर लगेगी
कंटक भी चुभेंगे
रक्तरंजित कदमों के चिन्ह
दूर तक साथ होंगे |
होगी परीक्षा तुम्हारी
धीर गंभीर धरती सा
धीरज रखना होगा
साहस सजो कर रखना होगा |
शांत मना अग्रसर होना
दृढ़ निश्चय ही तुम्हें
लक्ष्य तक पहुंचा पाएगा
जीवन सफल हो पाएगा |
आशा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: