09 जून, 2014

नजर पारखी


सिर झुका है
माथे पर पसीना
नयन नत
क्या छिपा रही हो
तुम ना भी बताओ
तो क्या है
तरल नयनों की भाषा से
कुछ भी न छिपता
राज ऐसा कोई नहीं
जिसे दिल महसूस न करता
धडकते दिल की
प्रेमिल कहानी
कभी छुपती नहीं
दीवानगी की हदें
जब पार होतीं
तब किसी का अक्स
तुमसा ही दीखता
नज़रों की ओट से
जो तुमने कहा
बिना बोले
हलचल मचा गया
सुख चैन लूटा
बेकल बना गया |
आशा

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