आवारा बादल
कहाँ से आया
कहाँ जाएगा
किसी ने न जाना |
किस पर थी निगाह
यह तो बता जाता
मन आंदोलित ना होता
अस्तव्यस्त न होता |
होगा महरवान
तभी तो बरसेगा
अब कोई बहाना न बनाना
अपना जलवा दिखाना |
मौसम बड़ा सुहाना
बाहर निकले तब जाना
हरे भरे उपवन
सरोवर जल से लबालब|
तेरी आवारगी
थी एक बहाना
तुझे यहीं आना था
सब का संताप मिटाना था |
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