फुलबाड़ी में
खिलते गुलाब
चटकती कलियाँ
प्रातः काल का
अभिनन्दन करते
आदित्य की
प्रथम किरण का
झूम झूम स्वागत करते |
दिन व्यस्तता में जाता
फिर सूरज
अस्ताचल को जाता
सिमटती धूप
कलियाँ और फूल
रात्री में विश्राम करते |
फिर सुबह होते ही
अपनी सुगंध से
मन प्रफुल्लित कर देते
यह क्रम सदा चलता
जब तक जीवन
शेष न होता |
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