20 सितंबर, 2014

यही सत्य है




सागर तरंगित
उर्मियों के उन्माद से
होती हलचल
पूनम के प्रभाव से
ऊपर हलचल
अंतस में ठहराव
अनुपम है |
सैलाव भावनाओं का
तरंगित उर्मियों सा
उन्मुक्त विचार
कहीं नहीं टकराव
अदभुद  है |
तटबंध नहीं टूटते
जब भी रौद्र रूप अपनाए
वही भाव प्रगट होते
बिना किसी परिवर्तन के
अंतर मन के मंथन से
अपेक्षित है |
जाने अनजाने
अनवरत दृष्टिगत होते
रंग भरे केनवास पर
दर्शाते मन की झलक
कभी मौन हो जाते
हलचल विहीन सागर से
यही सत्य है |
आशा

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