24 सितंबर, 2014

चाहती नहीं





चाहती नहीं 
बैसाखी तेरी साथ 
नारी आज की |

चमकी धूप 
चटकती कलियाँ 
भ्रमर मुग्ध |


भोर का तारा 
चमकता सितारा
प्यार जताता  |

हिन्दी महिमा 
देश  की है गरिमा 
गर्व है हमें |

आंधी में उडी 
अरमानों की धुल 
छलके नैन  |


हार श्रृंगार 
तुम्ही से प्रियतम 
भुलाऊँ कैसे |

प्रकृति नटी 
है धानी परिधान 
मन में बसी |

नहीं अंजान
क्या होना है अंजाम 
इस प्यार का |



आशा






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