सागर गहरा
अतुलित संपदा
कैसे कोई उसे
आंके
उसकी गहराई में
झांके |
समुद्र में सीपी
सीपी में मोती
जो दमकता पानी से
बिना उसके कुछ भी
नहीं |
खेला खाया जीवन
जिया
पर पानी की कीमत
ना जानी
उसके उतर जाने से
कुछ भी हांसिल ना
हुआ |
सब यही छूट जाना
है
पानी उतर जाने से
नाम तक गुम जाना
है
उलझे सोच का बहाना है |
महत्त्व उसका जब
से जाना
सम्हाला जतन से
उसे
बचपन में कभी याद
किया था
बिन पानी सब सून |
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