13 सितंबर, 2014

विचार मन के हिन्दी दिवस पर



भारत एक उपमहाद्वीप है जिसमें बिभिन्न राज्यों में अलग अलग भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं |हर भाषा का अपना महत्व है |हर प्रांत के लोग अपनी भाषा से लगाव रखते हैं |यही लगाव भाषा के विकास के लिए आवश्यक है |
साहित्य तभी धनवान होता है जब उस भाषा के लिए लोग बहुत शिद्दत से कार्य करें |केवल एक दिन किसी भाषा का दिवस मनाया जाए और पूरे साल उस पर  ध्यान ही न हो तो कैसे उस भाषा का उत्थान हो |
आज दिखावे के लिए हिन्दी दिवस मनाते हैं तरह तरह के संकल्प भी लेते हैं हिन्दी के उत्थान के लिए| पर
धर में यदि बच्चा हिन्दी में बात करे तो डाट पड़ती है और उसे समाज में भी हेय  दृष्टि से देखा जाता है |यह कहाँ का न्याय है |
मुझे बहुत दुःख होता है जब कोई अपनी माँ पर तो ध्यान देता नहीं और दूसरे की माँ को पूजता है |
सच्चाई तो यह है की कोई भी भाषा आपस में अपने विचारों के आदान प्रदान के लिए बुरी नहीं होती |
बुरा है हमारा सोच |यदि हम हिन्दी भाषी हैं तो हिन्दी में बात करने में शर्म क्यूं ?
अब आवश्यक हो गया है कि हम अपनी मानसिकता से ऊपर उठें और अपनी  भाषा का खुद सम्मान करें तभी उसे हिन्दुस्तान की भाषा बना पाएंगे |
आशा

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Your reply here: