20 अक्टूबर, 2014

अदभुद है

 मन की मुराद मिली है
 बड़ी बात है
प्यार की सौगात मिल गयी
अनोखा उपहार है
पर एक सवाल व्यर्थ सा
मन में आया है
ऐसा क्या था  जो तुम्हें
 मुझ तक ले आया
प्यार तो यह है नहीं
 बहुत सच है 
है कोई बंधन पहले का 
या मुझे कोई 
 कर्ज चुकाना है
कभी उधारी की  याद नहीं आता
फिर यह उलझन कैसी
एहसास अनोखा सा है 
लगता है 
अपनी  कहानी में
कोई नया मोड़  आया है
यूं तो है
 कहानी पुरानी 
वही राजा वही रानी
कभी मिलन 
कभी विछोह
कुछ भी तो नया नहीं
क्यूं आज फिर
 दूध में
 उबाल आया है
गोद में बेटी के कदम
धर में पालने का आगमन
पूर्व जन्म के  कर्ज का
अद्भुद एहसास हुआ है
जिसे पूर्ण  करने का
 मन बनाया है |


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