अक्सर कहा जाता है कि पुरुष
वर्ग महिलाओं को बहुत दबा कर रखता है | आये दिन महिलाओं को मानसिक और शारीरिक
प्रताड़ना सहना पड़ती है |पर सच्चाई कुछ और ही बयान करती है |
यदि निस्प्रह हो कर
देखा जाए तब ही सच्चाई सामने आती है | सच तो यही है कि महिलाएं ही महिलाओं की सबसे
बड़ी दुश्मन होती हैं | पहले भी सास–बहू, ननद-भाभी, देवरानी-जेठानी में आए दिन नोक
झोंक
होती रहती थी | हर छोटी से छोटी बात का बतंगड़ बना दिया जाता था | एक
दूसरे के विरुद्ध कान भरे जाते थे फिर भीषण धमाके के साथ घर में तलवारें भांजी
जाती थीं |
पर शायद तब शिक्षा का
अभाव एक कारण था इसी से आपसी सम्बन्ध सहज नहीं रह पाते थे | अक्सर महिलाएं किसी की
खुशी देख कर जलती थीं और बदले की भावना से प्रतिकार करती थीं |
आज के युग में पढ़ने
लिखने के बावजूद विचारों में रत्ती भर भी बदलाव उनकी सोच में नहीं देखने को मिलता
| दूसरे की थाली में सदा ज्यादा घी दिखाई देता है |
चाहे जितने भी क़ानून बन जाएं, बड़े बड़े मंचों से महिला जागृति की बातें की जाएं पर अपने घर में झाँक कर कोई नहीं देखना चाहता | महिलाएं अपने बीते कल में ही जीती हैं जैसा व्यवहार अपने रिश्तेदारों से मिला वही व्यवहार दूसरों के साथ करना पसंद करती हैं | बार बार कुंठाएं उभरती हैं | यदि खुद ने कष्ट उठाए तो दूसरों की खुशी देख नहीं पातीं | मन में भरे जहर को उगले बिना चैन नहीं आता | सच है महिलाएं ही महिलाओं की सबसे बड़ी दुश्मन होती हैं |
चाहे जितने भी क़ानून बन जाएं, बड़े बड़े मंचों से महिला जागृति की बातें की जाएं पर अपने घर में झाँक कर कोई नहीं देखना चाहता | महिलाएं अपने बीते कल में ही जीती हैं जैसा व्यवहार अपने रिश्तेदारों से मिला वही व्यवहार दूसरों के साथ करना पसंद करती हैं | बार बार कुंठाएं उभरती हैं | यदि खुद ने कष्ट उठाए तो दूसरों की खुशी देख नहीं पातीं | मन में भरे जहर को उगले बिना चैन नहीं आता | सच है महिलाएं ही महिलाओं की सबसे बड़ी दुश्मन होती हैं |
आशा
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