है मन उदास अशांत
सोच हावी है
सुबह से शाम तक
है जंग विचारों की
बच्चे तो बच्चे हैं
काले हों या गोर
इस देश के या उस देश के
कैसा कहर वरपाया
मासूम नौनिहालों पर
इंसानियत होती है क्या
शायद नहीं जानते
दीन ईमान कुछ भी नहीं
है बदला सर्वोपरी
दहशतगर्दों के लिए
एक बार भी नहीं सोचा
क्या बिगाड़ा था बच्चों ने
यह कौन सी मिसाल
कायम की है
बदले की भावना की
यदि यह हादसा पहुंचता
उनके खुद के बालकों तक
तब भी क्या यही
प्रतिक्रया होती
है बदला सर्वोपरी |
आशा
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