03 दिसंबर, 2014

बालक मन चंचल स्थिर न रहता

सात रंग में सजा इंद्रधनुष
वर्षा ऋतू में
दिशा खोजता विपरीत सूर्य के
 इंद्र धनुष
प्रमुख पांच वर्चस्व रंगों का ही
इंद्र धनुष में
 बहता जल कलकल निनाद 
चंचल मन 
मन मयूर नाचता थिरकता 
खुशियाँ लाता 
पा अपनों को  मन ममतामय
प्यार जताता 
पंखी सा मन पंख फैला उड़ता
चाँद चाहता 
किया प्रयास असफलता हाथ 
मन उदास 
बंधक मन तन के पिंजरे में
कैसी आजादी 
कही कहानी याद आई पुरानी 
लगी सुहानी 
चाचा नेहरू बाल मन में बसे 
यादों में रहे 
मन मोहती शीशे मैं से झांकती
 तेरी मुसकान
बालक मन जैसे निर्मल जल
प्यारा लगता |



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