29 जनवरी, 2015

फागुन आने को है

उड़ने लगा गुलाल
फागुन आने को है
राधा ने किया सिंगार
वसंत जाने को है
गोपियाँ ताकती राह
बाँसुरी बजने को है
यमुना में आया उछाल
लहरें तट छू रहीं
कान्हां मयहोने को
बेकल होती जा रहीं
पूरे होने को हैं अरमान
फागुन आने को है |
आशा

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